बिहार सीतामढ़ी में चमकी पर विभागीय तैयारी जोरों पर, पहला प्रभावित बच्चा भी हुआ ठीक

बिहार सीतामढ़ी में चमकी पर विभागीय तैयारी जोरों पर, पहला प्रभावित बच्चा भी हुआ ठीक

-प्रखंड में दो, अनुमंडल में 5 और जिला स्तरीय अस्पताल में 20 बेड की व्यवस्था
-चिकित्सक, आशा, सीएचओ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ संबंधित विभागों को भी मिल चुका प्रशिक्षण

सीतामढ़ी। 22 मार्च
जिले में चमकी को लेकर विभागीय तैयारी जोरों पर है। वहीं चमकी से जिले के नानपुर का प्रभावित बच्चा मो. ओसैफ भी ठीक होकर घर आ चुका है। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ रविन्द्र कुमार यादव ने बताया कि जिले में एईएस को लेकर अलग अलग तरह की एक्टिविटी कराई जा रही है। जिसमें जिला स्तरीय टास्क फोर्स मीटिंग की बैठक, मेडिकल ऑफिसर्स, आशा, सीएचओ के साथ आंगनबाड़ी एवं जीविका के कार्यकर्ताओं को भी चमकी पर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रत्येक आशा को कहा गया है कि वे घर घर जाकर जीरो से 15 वर्ष उम्र के नए बच्चों की सूची बनाकर घर के लोगों को चमकी पर जागरूक करें। प्रत्येक आशा को 20 पैकेट ओआरएस के पैकेट और पेरासिटामोल के टेबलेट और सिरप दिए गए हैं। उन्हें हिदायत दी गयी है कि अगर चमकी के वक्त बच्चा होश में हो तो उसे पहले ओआरएस का घोल पिलाएं वहीं बुखार की स्थिति में उसे हवादार जगह पर लिटाकर पूरे शरीर को सामान्य पानी से पोछें। इसके बाद एंबुलेंस या टैग वाहन से अस्पताल ले जाएं। इसके अलावा शिक्षा विभाग से संबंधित लोगों को भी चमकी के लक्षण और निदान संबंधी जानकारी दी गयी।

बिना उपचार स्वास्थ्य केंद्र से रेफर नहीं होंगे चमकी प्रभावित:

डॉ यादव ने बताया कि चमकी के किसी एक लक्षण के दिखने पर भी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से बच्चों को बिना प्राथमिक उपचार के कहीं रेफर नहीं किया जाएगा। प्रतिकूल परिस्थिति में ही बच्चों को एसकेएमसीएच रेफर करना होगा। चमकी प्रभावित बच्चों को उनके घर से लाने के क्रम में एम्बुलेंस में ही ग्लूकोमीटर से शुगर लेवल नाप कर कम होने की स्थिति में एसओपी के अनुसार ही स्लाइन चढ़ाएगें। प्रत्येक प्रखंड में दो, बेलसंड अनुमंडलीय अस्पताल में 5 तथा जिला अस्पताल में 20 वातानुकूलित एईएस बेड की व्यवस्था है। इसके अलावा हर प्रखंड तथा जिला स्तर पर एईएस कंट्रोल रूम की व्यवस्था है।

जिले में अभी तक चमकी के एक केस की पुष्टि:

डॉ यादव ने बताया कि अभी तक जिले में एक केस की पुष्टि हुई है। यह केस नानपुर के पंडौल बुजुर्ग का तीन वर्षीय मो. ओसैफ है। एसकेएमसीएच से यह ठीक होकर अपने घर वापस आ चुका है। आने के बाद उसके घर जाकर फॉलोअप भी किया गया है। डॉ यादव ने बताया कि रात में खाना नहीं खाकर सोने से इसे चमकी का प्रभाव आया था।

चमकी को धमकी-

  1. खिलाओ: बच्चों को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाओ
    2 जगाओ: सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाओ। देखो, कहीं बेहोशी या चमक तो नहीं
    3 अस्पताल ले जाओ: बेहोशी या चमक दिखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाओ।

चमकी बुखार:- (ए ई एस)
-चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए बच्चों को
तेज धूप से दुर रखे।
-अधिक से अधिक पानी, ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं।
-हल्का साधारण खाना खिलाएं, बच्चों को जंक-फूड से दुर रखे।
-खाली पेट लिची ना खिलाएं।
-रात को खाने के बाद थोड़ा मीठा ज़रूर खिलाएं।
-घर के आसपास पानी जमा न होने दे।
-रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करे।
-पूरे बदन का कपड़ा पहनाएं।
-सड़े-गले फल का सेवन ना कराएं, ताजा फल ही खिलाएं।
-बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं।

लक्षण (बच्चों को):-
-सिर दर्द, अचानक तेज बुखार आना।
-हाथ पैर मे अकड़ आना/टाईट हो जाना।
-बेहोश हो जाना।
-बच्चो के शरीर का चमकना/शरीर का कांपना।
-बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना।
-गुलकोज़ का शरीर मे कम हो जाना।
-शुगर कम हो जाना। ईत्यादि।

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