जेपी आन्दोलन का “क्रान्ति गीत” वर्तमान परिवेश में आज भी उतना ही प्रासंगिक – रामगोविन्द चौधरी

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तिलक लगाने तुम्हें जवानों, क्रांति द्वार पर आई है” गीत 25/26 जून को गाने या गुनगुनाने का आम जनता और विशेषकर युवाओं से प्रतिपक्षनेता ने किया अपील ।

शैलेश सिंह

बलिया । जेपी आन्दोलन के अग्रदूत रहे प्रदेश सरकार के प्रतिपक्ष नेता रामगोविन्द चौधरी अपने बलिया प्रवास के दौरान देश व प्रदेश के राजनीतिक हालात पर परिचर्चा करते हुये उस समय भावुक हो उठे जब अपने कुछ मित्रों के साथ बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई , किसानों की बेबसी और अव्यवस्थित सरकार की नितियों पर चर्चा-परिचर्चा चल रहा था । उन्होंने ने कहा कि पण्डित रामगोपाल दीक्षित द्वारा रचित जेपी आन्दोलन का क्रांति गीत ” तिलक लगाने तुम्हें जवानों, क्रांति द्वार पर आई है” आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना 1974 -75 -76 और 77 में था। उन्होंने वह गीत सुनाते हुये कहा कि—
जयप्रकाश का बिगुल बजा तो, जाग उठी तरुणाई है। तिलक लगाने तुम्हें जवानों, क्रान्ति द्वार पर आई है।

आज चलेगा कौन देश से, भ्रष्टाचार मिटाने को।
बर्बरता से लोहा लेने,
सत्ता से टकराने को।
आज देख लें कौन रचाता, मौत के संग सगाई है। तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

पर्वत की दीवार कभी क्या,
रोक सकी तूफ़ानों को ?
क्या बन्दूकें रोक सकेंगी,
बढते हुए जवानों को?
चूर – चूर हो गयी शक्ति वह, जो हमसे टकराई है।
तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

लाख़ लाख़ झोपडियों में तो, छाई हुई उदासी है।
सत्ता-सम्पत्ति के बंगलों में,
हंसती पूरणमासी है।
यह सब अब ना चलने देंगे,
हमने कसमें खाई है।
तिलक लगाने तुम्हें जवानों,
क्रांति द्वार पर आई है।

सावधान, पद या पैसे से,
होना है गुमराह नही।
सीने पर गोली खा कर भी, निकले मुख से आह नही।
ऐसे वीर शहीदों ने ही, देश की लाज बचाई है। तिलक लगाने तुम्हें जवानों,
क्रांति द्वार पर आई है।

आओ कृषक, श्रमिक, नगरिकों, इंकलाब का नारा दो।
कविजन, शिक्षक, बुद्धिजीवियों, अनुभव भरा सहारा दो।
फ़िर देखें हम सत्ता कितनी, बर्बर है बौराई है।
तिलक लगाने तुम्हें जवानों, क्रान्ति द्वार पर आई है।
जयप्रकाश का बिगुल बजा तो,
जाग उठी तरुणाई है।

क्रान्ति गीत को स्मरण करते हुये नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिन परिस्थितियों और बिगड़े हालात को देखते हुये लोकनायक नारायण ने “सम्पूर्ण क्रांति ” का विगुल फुका था आज उससे भी भयानक परिस्थितियाँ हमारे देश और समाज के सामने पैदा हो चुकी है । उन्होंने आम जनता और विशेषकर युवाओं से अपील किया कि वे 25/26 जून को यह क्रान्ति गीत जरूर गाये या गुनगुनाये ।

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