यह लेख किसी नेता की नहीं बल्कि छोटे से ठेले पर चाय बेचने वाले पवन जी सोनी के हैं । उनका विचार आपातकाल पर आधारित है।
मनियर बलिया। 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा होते ही लोगों की नींद हराम हो गई और देश के लगभग दो लाख नेताओं को बिना किसी वजह के जेल में डाल दिया गया। साथ ही साथ यातनाएं भी दी गई ।उसी समय लोकतंत्र की हत्या हो गई थी तथा संविधान खतरे में पड़ गया था ।किसी प्रकार की जमानत नहीं होती थी। उसी समय साहस जुटाकर स्वर्गीय जेपी बाबू ने लड़ाई लड़ी तथा इस काले कानून को खत्म करने के लिए देश में आंदोलन चलाया ।तब जाकर तानाशाही सरकार से सन 1977 में देश मुक्त हुआ। जनता पार्टी का गठन हुआ और सरकार बनाने से पहले जेपी बाबू से पूछा गया तो उन्होंने उसी समय कह दिया कि मैं कुर्सी की राजनीति नहीं करता। मैं जनता की सेवा भाव से राजनीति करता हूं लेकिन कुछ लोग कुर्सी के लोभ में आपातकाल की त्रासदी भूलकर कांग्रेस को समर्थन दिये । ऐसे लोगों पर कौन भरोसा कर सकता है? जो इतनी यातनाएं झेलने के बाद भी कुर्सी के लोभ में कांग्रेस को समर्थन दिया।
*आंखों देखा हाल* आपातकाल के दौरान कुछ भिखारी दिनभर भीख मांग कर रेलवे स्टेशन के पूर्वी छोर पर जाकर शरण लेकर ईंट पर खाना बना कर अपना जीवन यापन करते थे ।मगर रेलवे के पुलिस उन भिखारियों को मारपीट कर खदेड़ देती थी ।कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता था ?कुछ लोग उस यातना को भूल गए होंगे मगर मैं तो मरने के बाद भी नहीं भूल सकता। देश में एक मात्र चंद्रशेखर जी ही ऐसे व्यक्ति थे कि जे पी जी के जन्म तिथि तथा पुण्यतिथि पर समय के पहले बलिया के लिए चल पड़ते थे ।उक्त तिथि पर आना नहीं भूलते थे। हमेशा जेपी जी के बारे में चिंतन करते थे तथा सामर्थ्य के हिसाब से अपना योगदान देते थे । वे जेपी जी के गांव आना कभी नहीं भूलते थे।ऐसे बहुत कम लोग ही मिलेंगे।ऐसे महापुरुष को मैं प्रणाम करता हूं । जो लोग आपातकाल को भूल गए होंगे उन्हें चंद्रशेखर जी से नसीहत लेना चाहिए। उस दौरान लोकतंत्र नाम का चीज नहीं रह गया था।जो लोग आपातकाल देखे हैं उनसे जाकर पूछना चाहिए कि इतना जुल्म अत्याचार के बावजूद लोग कंधे से कंधा मिलाकर चलने का काम करते थे। आज इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं रह गई है ।हमारे देश में एकमात्र ईमानदार नेताओं में से एक नेता जॉर्ज फर्नाडीज थे।वह दिन याद आती है तो रूह कांप जाती है ।कोई विरोध करने वाला नहीं था । लोगों को याद रखना चाहिए कि इस तरह की ज्यादती बर्दाश्त नहीं की जा सकती ।मेरा जनता जनार्दन से अपील है कि इसको पढ़कर आत्मसात करे