बलिया में जिला पंचायत अध्यक्ष की हार पर होने लगी समीक्षा

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मनियर इंटर कॉलेज के प्रवक्ता एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व जिला उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह ने बीजेपी नेताओं पर फोड़ा हार का ठीकरा
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव संपन्न हुआ ।इस चुनाव में भले ही सत्ताधारी दल भाजपा भारी सफलता हासिल की हो परंतु जनपद बलिया के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार हुई ।इस हार के लिए जिला अध्यक्ष से लेकर सांसद, विधायक, मंत्री गण सभी लोग समान रूप से जिम्मेदार हैं । मेरा ब्यक्तिगत मानना है कि हार तो उसी दिन सुनिश्चित हो गई जिस दिन जनपद के कद्दावर नेताओं ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ में निष्ठावान, कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर वैसे लोगों को समर्थन दिया जो लोग भाजपा के कभी भी सामान्य सदस्य भी नहीं रहे हैं। इसके पीछे उनमें उनका नीजी स्वार्थ छिपा था ।अपने चहेतों को लोगों ने समर्थन दिया। पहली हार तो उसी दिन हो गई ।दूसरी हार जिला पंचायत सदस्य की चुनाव संपन्न होने के बाद सत्ताधारी दल के पास कोई ऐसा उम्मीदवार ही नहीं था जिसको वह चुनाव लड़ाये। आनन-फानन में सुप्रिया चौधरी को लोगों ने लड़ाने का निर्णय लिया ।तब तक तो खेल समाप्त हो चुका था ।पूर्व कबीना मंत्री अंबिका चौधरी के पास बहुमत से भी अधिक लोग उनके पास जा चुके थे ।उसके बाद लड़ाई का कोई मतलब ही नहीं रह गया था। इसलिए कहा गया है कि अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत। मैं सभी बड़े नेताओं एवं पदाधिकारियों को सलाह दूंगा कि अगर आप अभी नहीं चेते तो 2022 के विधानसभा चुनाव भी आपके हाथ से निकल जाएगा और आप हाथ मलते रह जाएंगे ।अन्यथा नहीं लेंगे ,हमें इसका बहुत ही दु:ख है कि आज भारतीय जनता पार्टी की अपने ही कारण हार हुई इससे हमें सीख लेनी चाहिए।

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