क्या पशु पक्षियों की अपनी कोई भाषा नहीं होती आइए जानते हैं इस बात की पूरी सच्चाई

0

क्या पशु पक्षियों की अपनी कोई भाषा नहीं होती अगर पशु पक्षियों की अपनी भाषा होती है तो उसको इंसान कैसे समझ सकता है ।

आओ जानिए

विश्व के अधिकतम लोग ऐसा समझते हैं कि पशु अनबोलता धन होता हैं ।

विश्व में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जिनको पता है के पशुओं और पक्षियों की भी अपनी भाषा होती है ।

प्यार साथीयो मेरा अपना निजी मानना ऐसा है जैसे कि

इस ब्रह्माण्ड में जितने भी जीव जंतु रब ने पैदा किए हैं उनकी अपनी अपनी भाषाएँ होती है वह बात अलग है कि हमे पशु पशुओं की भाषा समझ नहीं आती जैसे कि

पूरे विश्व में अनेको देश हैं और अनेको देशों की भाषाएँ भी अलग अलग है पर क्या हम पूरे विश्व की भाषाओं को समझ सकते हैं मेरे ख्याल से ऐसे बहुत कम लोग होंगे जो पूरे विश्व की भाषाओं को समझ सकते हैं ।

जब हम पूरे विश्व के लोगों की भाषाएँ नहीं समझ सकते हैं तो हम पशुओं की भाषाएं कैसे समझ सकते हैं ।

जैसे हम पूरे विश्व के लोगों की भाषाएं नहीं समझ सकते ।
वैसे ही पूरे विश्व के पशु पक्षी भी एक दूसरे की भाषाए नहीं समझ सकते ।

जैसे मनुष्य हैं अपने अपने लोगों की ही भाषा समझ सकते हैं ।
वैसे ही पशु पक्षी भी अपने अपने साथियों की ही भाषा समझ सकते हैं ।

पर दो भाषाएँ प्यार और नफ़रत की पूरे विश्व के इंसान और पूरे विश्व के पशु पक्षी समझ सकते हैं ।

जब इंसान पशु पक्षियों से प्यार करता है तब पशु पक्षी भी इंसान से प्यार करते हैं ।
जब इंसान पशु पक्षियों से नफ़रत करता है तब पशु पक्षी भी इंसान से नफ़रत करते हैं ।

जैसे आप सभी ने देखा होगा कि जब पशु पक्षियों से इंसान प्यार करता है तब पशु पक्षी इंसान के पास दौड़कर आ जाते हैं ।
वैसे ही जब इंसान पशु पक्षियों के पिछे डंडा लेकर दोडता है तब पशु पक्षी भी दौड़ जाते हैं ।

पूरे विश्व की भाषाएँ और हर एक इंसान के दिमाग़ के अंदर रब ने छुपा रखी है ।
पूरे विश्व के इंसानो के अंदर पूरे विश्व के पशु पक्षियों की भाषाएँ भी छुपा रखी है ।

जो सच्चे इंसान होंगे वह अपने अंदर से खोजकर पूरे विश्व की भाषाएँ बोल सकते हैं ।
जो सच्चे इंसान होंगे वही पूरे विश्व की पशु पक्षियों की भाषाएँ अपने अंदर से खोजकर समझ सकते हैं ।

नोट —पूरे विश्व के इंसानो के अंदर पुरे विश्व के जीव जन्तुओं की भाषाएँ छुपी हुई हैं उन भाषाओं  अगर इन्सान अपने अंदर से ढूँढना चाहता है तो बार बार उन भाषाओं को सुनना पड़ेगा बोलना पड़ेगा सुनना पड़ेगा बोलना पड़ेगा तब ही उस भाषाओं को इंसान आसानी से समझ सकता है इस बात को सिर्फ़ सच्चा इंसान ही कर सकता है और प्रयास करके अपने अंदर से ही सभी भाषाओं को ढूंढ सकता है । वॉट्सऐप नंबर +13474754233 USA
( M S Khalsa) तहलका न्यूज पर समाचार और विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें मिठ्ठू शाह से मोबाइल नंबर 9198041777 पर

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।