पांच साल के बेटे को अकेले छोड़ पति पहुंचाते थे ड्यूटी,  लोगों के लिए बनी मिसाल

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पांच साल के बेटे को अकेले छोड़ पति पहुंचाते थे ड्यूटी,  लोगों के लिए बनी मिसाल

– राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड के लिए नामित
– उनकी कर्तव्यपरायणता पर बन चुकी है डॉक्युमेंट्री

वैशाली। 13 जुलाई
एएनएम अनुराधा पिछले छह साल से भगवानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लेवर रूम में काम कर रही हैं। लेवर रूम में लोगों की असाधारण सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड के लिए नामित किया गया है। अनुराधा को इस पुरस्कार के लिए ऐसे ही नामित नहीं किया गया बल्कि यह इनके कर्तव्यपरायणता और स्किल की वजह से मिली है। जिसमें न जाने इन्होंने कितनी माताएं और नवजात की जान बचायी है। वहीं इनकी सेवा की तत्परता इस बात से दिखती है कि वह पांच साल के अपने बेटे को अकेले छोड़ ताला मार देती थी, ताकि इनके पति इन्हें ड्यूटी पर छोड़ सकें। अपनी स्किल की बदौलत ही अनुराधा को 2021 में महिला दिवस के उपलक्ष्य में पटना में वैशाली जिले के लिए मेंटर के रूप में भी प्रशिक्षण मिला। अनुराधा की इस ढेर सारी उपलब्धियों के लिए उन पर एक डाक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। जिसका प्रसारण राष्ट्रीय चैनल पर भी प्रसारित किया गया।

900 ग्राम वजनी बच्चे की बचायी जान-

अनुराधा कहती हैं कि 2019 में गढ़हरी पंचायत की एक महिला प्रसव के लिए आयी। बच्चे का वजन मात्र 900 ग्राम था। एक माह तक मैंने उसे लगातार  फॉलोअप कर उसकी मां को फोन पर कंगारू मदर केयर और स्तनपान की सलाह देती थी। उसने ठीक एक माह तक मेरे कहे अनुसार कार्य किया। एक महीने में उसी बच्चे का वजन दो किलो 200 ग्राम हो गया। वहीं पिछले साल एक गरीब महिला को प्रसव के दौरान बच्चा मुंह पर आकर फंस गया। जिससे बच्चे के जन्म के बाद उसकी नाभि को छोड़कर सभी नाड़ी बंद हो गयी थी। ऐसे में अम्बु बैग की सहायता से मैंने उसकी साँसें  लौटा दी। इस तरह की घटनाओं के लिए अमानत का प्रशिक्षण बहुत ही ज्यादा काम आया।

परिवार का मिलता है पूरा सहयोग-

अनुराधा कहती हैं कि उनके काम में उनके परिवार का पूरा सहयोग रहता है। बेटे के जन्म के बाद उनके पति ने उनके लिए काफी संघर्ष किया है। एक तरह से उन्होंने घर और बेटे की जिम्मेवारी लेकर मुझे मेरे काम के लिए समर्पित कर दिया।

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