बिहार/स्वरांजलि संस्था द्वारा रफी साहेब की पुण्यतिथि मनाई गई।
बिहार/स्वरांजलि संस्था द्वारा रफी साहेब की पुण्यतिथि मनाई गई।
शहंशाह – ए – तरन्नुम मो. रफ़ी की याद में स्वरांजलि नें सजाई संगीत- ए – महफ़िल
मुझे अपनी मिट्टी, संस्कृति, मुल्क
से प्यार है…. कहा था रफ़ी नें : डॉ. ध्रुव कुमार
रफ़ी गायकी और शास्त्रीयता
के अनूठे संगम थे : डॉ. राज कुमार नाहर
रफ़ी कड़ोंरों परिवारों के अन्नदाता हैं : संगीतकार पप्पू गुप्ता
सामग्र गीतों के गायक के साथ
नेकदिल इंसान थे रफ़ी : अभिषेक पैट्रिक
रफ़ी साहेब को ” भारत रत्न ”
अब तक ना मिलना दुर्भाग्यपूर्ण,
मरणोपरांत यह रत्न दी जाय : अनिल रश्मि
सनोवर खान / नसीम रब्बानी की रिपोर्ट
पटना सिटी। संवेदनशील गायक के साथ ही यकीनन सच्चे राष्ट्रभक्त थे रफ़ी साहेब। जब पाकिस्तान से उन्हें उस मिट्टी पर रहने का बुलाबा आया तो रफ़ी साहब नें कहा आपका प्यार सर आँखों पर, लेकिन मुझे अपनी मिट्टी , संस्कृति, मुल्क से प्यार है,इस सरज़मीं नें मुझे सबकुछ दिया है, वतनपरस्ती ही मेरा ईमान है।ऐसे मूल्यपरक व्यक्तित्व के जीवन- आदर्श को शिक्षण संस्थानों में पढ़ाया जाना चाहिए।
ये बातें स्वरांजलि द्वारा आयोजित
रफ़ी साहेब की पुण्यतिथि पर
” शहंशाह – ए – तरन्नुम रफ़ी ” की
याद में हुए कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए शिक्षाविद व संगीत मर्मज्ञ डॉ. ध्रुव कुमार नें कही।कार्यक्रम जङ्गली प्रसाद लेन स्थित स्वरांजलि सभागार में हुआ।
बतौर मुख्यातिथि दूरदर्शन के कार्यक्रम निदेशक डॉ.राज कुमार
नाहर नें कहा रफ़ी साहेब की गायकी और शास्त्रीय संगीत का
अद्भुत संगम था। मन तड़पत हरि दर्शन को आज…. राग मालकोश
में ऐसा गाए , जो आज भी सुनने
पर हृदय में ” ईश ” के प्रति भक्ति उमड़ पड़ती। राग हमीर में
उनका गाया शास्त्रीय पर आधारित गाना.. मधुवन में राधिका नाचे रे….. ” रे ” पर जो उन्होंने ” सम ” दिखया है , जवाब नहीं.अलापचारी,तराना
ने शुद्ध शास्त्रीयता का परिचय दिया है।
अगर दस गाने शास्त्रीय पर आधारित रफ़ी साहेब का कोई कलाकार ठीक से गा ले तो वो गायक बन सकता है। अपने आप में संगीत के विश्वविद्यालय
थे रफ़ी साहब।बतौर विशिष्ट अतिथि
संगीतकार पप्पू गुप्ता ने कहा रफी
साहेब कलाकारों के लिए अन्नदाता हैं। उनकी आवाज़ का सिर्फ नक़ल करके कड़ोंरों परिवार का जीवन यापन चल रहा है, वो आज भी प्रासांगिक हैं।
जीसस एन्ड मैरी के निदेशक व
पार्श्व गायक अभिषेक पैट्रिक ने
कहा रफ़ी साहेब ने अनेकों भाषाओं में गाया और रूहानी गायक होने की वजह से उन्हें” शहंशाह – ए – तरन्नुम ” कहा गया, जो औऱ गायकों को नसीब
नहीं है। वो एक नेकदिल इंसान
भी थे।
संस्था के संयोजक व पार्श्व गायक
अनिल रश्मि ने कहा राष्ट्रीय एकता के प्रतीक व दो सदी के महानतम गायक रफ़ी साहब को अभी तक ” भारत रत्न ” ना मिलना दुर्भाग्य का विषय है।
मरणोपरांत उन्हें ” भारत रत्न ”
अविलंब देने की मांग हम भारत सरकार से करते हैं, उनके प्रति
यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी
सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज़ गायक अभिषेक पैट्रिक
से हुआ …
1. बड़ी दूर से आए हैं प्यार का तोहफा….
2. समर्थ नाहर ने तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे…गाकर महफिल में चार चांद लगा लगा दिए
3. आलोक चौबे ने पर्दा है , पर्दा…..
4. पप्पू गुप्ता ने दिल का सुना साज तराना….
5.अहमद रज़ा हाशमी नें आदमी मुसाफ़िर है…..
6. अनिल रश्मि ने..अकेले हैं , चले आओ कहाँ आवाज़ दें तुमको…..
गाकर संगीतमय श्रधांजलि दी।
प्रारंभ में रफ़ी साहब के तैल चित्र पर कलाकारों व अतिथियों ने पुष्प व मालाएं अर्पित की गई ।
संगीत- संयोजन : जेम्स बैंड
मंच संचालन : नेक आलम धन्यबाद ज्ञापन: जितेंद्र कुमार पाल नें किया।
मौक़े पर साहित्यकार प्रभात कुमार धवन, आलोक चोपड़ा , राजा पुट्टू, प्रिंस, नितिन कुमार वर्मा , विक्रम कुमार सिंह,विपिन मंडल , संजय यादव, सुनीता रानी, बबली मौजूद रहीं।