प्रधानमन्त्री टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिए आशाकर्मियों को प्रशिक्षण
- सरकारी अस्पताल में जांच से लेकर इलाज तक की है मुफ्त व्यवस्था
प्रधानमन्त्री टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिए आशाकर्मियों को प्रशिक्षण
– सरकारी अस्पताल में जांच से लेकर इलाज तक की है मुफ्त व्यवस्था
– समय ज्यादा बर्बाद करने पर एमडीआर टीबी होने का रहता है खतरा
बेतिया, 10 सितंबर ।
जिले में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाने को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में हरानाटार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तथा केएचपीटी के सहयोग से 40 आशा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संदीप कुमार राय ने बताया कि सभी सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की मुफ्त व्यवस्था है। इसके बावजूद देखा जा रहा है कि कुछ लोग बेहतर इलाज की चाहत में निजी अस्पताल का दरवाजा खटखटाते हैं। वहां से अगर उन्हें सरकारी अस्पताल भेजा जाता है तो वे फिर किसी दूसरे निजी अस्पताल में चले जाते। ऐसा करने से टीबी का इलाज लंबा खिंच जाता है और मरीज को भी एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। इस तरह की लापरवाही नहीं करें और टीबी के लक्षण दिखाई पड़े तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं।
सरकारी अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था-
केएचपीटी के डिस्ट्रिक लीडर मेनका सिंह ने बताया कि लोगों को यह बात समझनी चाहिए कि सभी सरकारी अस्पताल में टीबी के इलाज को लेकर बेहतर व्यवस्था है।
सरकारी अस्पतालों में इलाज कराकर मरीज लगातार ठीक भी हो रहे हैं। टीबी को लेकर जिले में लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। हर तरह की सुविधा यहां पर मुफ्त है। इसके बावजूद लोगों को इस तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जो बीमारी छह महीने में ठीक हो सकती है, उसका इलाज ज्यादा दिनों तक क्यों करवाते हैं मरीज? इसलिए टीबी के लक्षण दिखाई पड़े तो तत्काल सरकारी अस्पताल में जाएं, न कि निजी अस्पताल। यह आपके हित में है।
जागरूकता अभियान से लेकर मरीजों को चिह्नित करने का चल रहा काम-
डॉ राय बताते हैं कि टीबी उन्मूलन को लेकर मरीजों को चिह्नित करने का काम तेजी से हो रहा है। टीबी से संक्रमित होने के बाद मरीज अगर एक बार सरकारी अस्पताल आ जाते हैं तो ठीक होने तक उनकी निगरानी की जाती है। दवा भी मुफ्त में मिलती है। टीबी मरीजों को पौष्टिक भोजन के लिए इलाज चलने तक पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि भी दी जाती है। इसलिए टीबी होने पर लोग सरकारी अस्पताल ही आएं। इस प्रशिक्षण के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संदीप कुमार राय, एमओ राजेश सिंह, एलटी सुधीर कुमार, केचपीटी के डिस्ट्रिक्ट लीड मेनका सिंह, विकास ठाकुर, नीलम पाण्डे आदि उपस्थित थे।