बिहार, मुज़फ़्फ़रपुर/परिवार नियोजन से मातृ मृत्यु दर में लायी जा सकती है कमी : डॉ संदीप

मोतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मनाया परिवार नियोजन जनसंख्या नियंत्रण मेला

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परिवार नियोजन से मातृ मृत्यु दर में लायी जा सकती है कमी : डॉ संदीप

-मोतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मनाया परिवार नियोजन जनसंख्या नियंत्रण मेला

मुजफ्फरपुर। 20 सितम्बर

जिले के समुदायिक स्वास्थ्य क्रेंद मोतीपुर में 12 सितम्बर से 24 सितम्बर तक परिवार नियोजन पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को मोतीपुर सीएचसी में परिवार नियोजन जनसंख्या नियंत्रण मेला का आयोजन किया गया। इस मौके पर बीसीएम संजय कुमार ने बताया कि बढ़ रही जनसंख्या का मुख्य कारण महिलाओं व परिवारों में अशिक्षा व परिवार नियोजन की जानकारी की कमी है। इस समस्या का एक मात्र निदान है जागरूकता।

परिवार नियोजन के बारे में पुरुषों और महिलाओं को जागरूक करना जरूरी-

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संदीप कुमार ने बताया कि परिवार नियोजन के विषय में पुरुषों और महिलाओं को जागरूक करना आवश्यक है।, इसके लिए आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा परिवार नियोजन के बारे में खुलकर बात करना जरूरी है। यह चर्चा कि परिवार नियोजन का क्या अर्थ है, यह उनको तय करना है कि आपके कितने बच्चे हों, और कब हों, अगर आप बच्चे पैदा करने के लिए थोड़ी प्रतीक्षा करना चाहते हैं तो अनेक उपलब्ध साधनों में से कोई एक साधन चुन सकते हैं। इन्हीं साधनों को परिवार नियोजन के साधन, बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के साधन या गर्भ निरोधक साधन कहते हैं। गर्भधारण, प्रसव तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण महिलायें मृत्यु की शिकार हो जाती है। इनमें उनकी मौतों को परिवार नियोजन के द्वारा रोका जा सकता है।

परिवार नियोजन द्वारा गर्भ धारण के खतरों की रोकथाम संभव-

केयर के हेल्थ न्यूट्रिशन ऑफिसर सतीश कुमार सिंह ने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों की प्रसव के दौरान मृत्यु की संभावना रहती है। क्योंकि उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। उनके पैदा हुए बच्चे के भी पहले वर्ष में ही मृत्यु हो जाने की आशंका अधिक रहती है। गर्भधारण से अधिक आयु की महिलाओं को ज्यादा खतरा रहता है क्योंकि उन्हें प्राय: अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। 3 या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिला को प्रसव के पश्चात खून बहने व अन्य कारणों से मृत्यु का अधिक जोखिम होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सेविका सहायिकाओं द्वारा  महिलाओं को परिवार नियोजन के संसाधनों यथा कॉपर टी, कंडोम, गर्भ निरोधक गोलियां, सूई आदि की जानकारियों के साथ महिलाओं को अनचाहे गर्भावस्था से रोक के उपाय की जानकारी देने की आवश्यकता है।
डॉ रीता चौधरी ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को हमेशा शारीरिक व मानसिक विकास के लिए फल, हरी सब्जियों, सलाद व दूध, दूध से बने सामग्रियों का सेवन जरूरी है। किसी भी तरह के तनाव से बचने की आवश्यकता है। डॉ संदीप कुमार ने बताया कि वर्तमान समय में जनसंख्या पर रोक लगाने के लिए व अनचाहे गर्भ ठहरने से रोक के लिए, बच्चा पैदा करने के साथ ही तुरंत पुनः प्रेग्नेंसी की समस्याओं से बचाव के लिए गर्भवती व धात्री महिलाओं को परिवार नियोजन के  विभिन्न संसाधनों यथा, कन्डोम, माला डी, अंतरा, कॉपर टी, एवं नसबंदी, जैसे स्थायी व अस्थायी साधनों की  जानकारी दी गईं। इस मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ संदीप कुमार, प्रखंड लेखापाल रवि कुमार, प्रखंड कमेटी मोबिलाइजर संजय कुमार, केयर इंडिया हेल्थ न्यूट्रिशन ऑफिसर सतीश कुमार सिंह, कंसलटेंट अलाइव एंड थराइव मनीष कुमार, जीएनएम परनामी कुमारी, संदीप कुमार इत्यादि मौजूद थे।

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