बिहार,मोतिहारी/घाव या चोट लगने से हो सकता है टेटनस, इससे बचाव के लिए करायें टीकाकरण

- टेटनस व डिप्थेरिया से बचाव को भी हो रहा है टीकाकरण

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घाव या चोट लगने से हो सकता है टेटनस, इससे बचाव के लिए करायें टीकाकरण

– टेटनस व डिप्थेरिया से बचाव को भी हो रहा है टीकाकरण
–  10 से 16 साल के किशोरों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत दी जा रही है टीडी वैक्सीन
– आरबीएसके चिकित्सकों की टीम कर रही टीकाकरण में सहयोग

रिपोर्ट नसीम रब्बानी, स्टेट हेड बिहार

मोतिहारी, 20 सितम्बर

जिले में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 10 से 16 वर्ष के किशोर किशोरियों को आरबीएसके चिकित्सकों की टीम द्वारा टीडी वैक्सिन की खुराक से आच्छादित किया जा रहा है। नियमित टीकाकरण के सम्बंध में डीआईओ डॉ शरत चन्द्र शर्मा ने बताया कि टीडी के टीके नहीं लेने से टेटनस व डिप्थेरिया जैसे रोग हो सकते हैं।  इससे बचने के लिए टीकाकरण जरूरी है। डीआईओ ने बताया कि डिफ्थेरिया प्रारम्भ में गले में सूजन पैदा करता है, जिससे साँस लेने या घोंटने में परेशानी होती है। मगर बाद में जब यह शरीर के भीतरी भागों में जाता है तो हार्ट की अंतर मांसपेशी और  शरीर के नस को नुकसान पहुंचाता है। डिफ्थेरिया पर नियन्त्रण के लिए आसान उपाय है, संक्रमण के बाद सामान्य एंटिबायोटिक से भी चिकित्सा संभव है। उन्होंने संबंधित आयु वर्ग के किशोरों से टीडी का टीकाकरण  लेने की अपील की।

आरबीएसके टीम कर रही है टीकाकरण में सहयोग-

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्रवण  कुमार पासवान ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। इसी स्वास्थ्य जांच के क्रम में बच्चों को टीडी की वैक्सीन लगायी जा रही है। टीडी वैक्सीनेशन को लेकर पीएचसी स्तर से आरबीएसके टीम को हर जरूरी मदद उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। विद्यालयों में टीकाकरण के बाद इसका दैनिक प्रतिवेदन संबंधित पीएचसी को उपलब्ध कराया जाना है।

घाव या चोट लगने से हो सकता है टेटनस-

डॉ खालिद अख्तर ने बताया कि टेटनस एक संक्रामक बीमारी है, जो बैक्टीरियम क्लोस्ट्रेडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया से होता है। किसी घाव या चोट में संक्रमण होने पर टेटनस हो सकता है। उच्च रक्तचाप, तंत्रिका तंत्र का ठीक से काम नहीं करना, मांसपेशियों में ऐंठन, गर्दन व जबड़े में अकड़न, पीठ का धनुषाकार होना आदि इसके लक्षण हैं। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। इसे गलाघोंटू के नाम से भी जाना जाता है। सांस लेने में दिक्कत, गर्दन में सूजन, बुखार एवं खांसी इसके शुरुआती लक्षण होते हैं।

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