गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल के डॉ अखिलेश कुमार मरीजो के साथ पढ़ाते है कानून का पाठ।

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गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल के डॉ अखिलेश कुमार मरीजो के साथ पढ़ाते है कानून का पाठ।

डॉ अखिलेश अपने ओ पी डी कार्य के समय समयनुसार नही आते है फिर भी सूत्रों के अनुसार हाजरी लगा दी जाती है ये किसके मर्जी से होता है जाँच का बिषय है। आखिर अब तक करवाई क्यों नही। गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में सारी सुबिधा होने के बाबाजूद भी डॉ अखिलेश के द्वारा नही दी जाती है अस्पताल से कोई सुबिधा दिखाया जाता है बाहर का रास्ता।

गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में एक ही नर्स के भरोसे चलाये जा रहे है आपातकालीन सेवा।

पटना सिटी :गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में तीन से चार दिनों से बिछे रहते है एक ही चादर। चादर बदलने के लिए ना कोई पूछने वाला और ना कोई बोलने वाला। सदर अस्पताल की व्यवस्थाएं बुरी तरह से बिगड़ी हुई हैं। स्थिति यह है, कि साफ सफाई से लेकर बीमारी का इलाज कराने तक व्यवस्थाएं बुरी तरह से बिगड़ी हुई है। स्वच्छता के प्रेरित करने वाले सबसे अहम महकमा स्वास्थ्य विभाग खुद अपने परिसर को गंदगी से पाटे है। अस्पताल परिसर में मेडिकल कचरा भी अनियोजित तरीके से फैला रहता है। चिकित्सक जहां मरीजों को स्वच्छता रखने की सलाह देते हैं, उसी सदर अस्पताल में गंदगी के अंबार लगा है। सदर अस्पताल में प्रतिदिन सफाई व्यवस्था की पोल खुलकर सामने आ रही है। प्रशासनिक अधिकारी की समझाइश के बाद भी नहीं सुधर रही धर रही सफाई व्यवस्था। इसका फायदा सफाई कर्मचारी जमकर उठा रहे हैं। जिले में इन दिनों गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियां फैल रहीं है। जिससे बचाव के लिए स्वास्थ्य अफसर लोगों को साफ – सफाई का निर्देश दे रहे हैं। मगर, खुद अपने ही घर की सफाई व्यवस्था को लेकर कोई आदेश जारी नहीं कर रहे है। सदर अस्पताल में वार्ड और शौचालय से लेकर परिसर तक गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
डॉक्टर अखिलेश कुमार मरीजों के साथ पढ़ाते हैं कानून का पाठ। बिना चादर बदले चलाए जा रहे हैं अस्पताल बेड जबकि बिहार सरकार के आदेश अनुसार जारी सूची में दिशा निर्देश दिया गया है कि दैनिक चादर की बदली की जाएगी इससे महामारी होने का आशंका एक नर्स के सहारे चलाए जा रहे हैं आपातकालीन। गंदगी से भड़ा है डस्टबिन गंदगी से डेंगू होने की आशंका लगा है जामबाड़ा। गुरु गोविंद सदर अस्पताल में पूर्ण रूप से व्यवस्था होने के बावजूद भी डॉक्टर अखिलेश के द्वारा किसी तरह का नहीं किया जाता कोई भी सहयोग सूत्रों के अनुसार मरीजों के द्वारा डॉक्टर से पूछे जाने पर उल्टा सीधा समझा कर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है

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