सब्जी की महंगाई से अचार चटनी पर काम चला रहे लोग। रिपोर्ट रेणु सिंह
सब्जी की महंगाई से अचार चटनी पर काम चला रहे लोग
महुआ। रेणु सिंह
सब्जी की हुई अप्रत्याशित वृद्धि से अब लोग खाने में चटनी और अचार पर काम चला रहे हैं। लोग हाट बाजार में सब्जी खरीदने के लिए झोला लेकर जाते तो हैं पर उनकी जेब में जवाब दे देती है। सामर्थ्यवान लोग भी इस समय सब्जियां की खरीदारी किलो नहीं बल्कि पाव में कर रहे हैं।
हरी सब्जियों मैं टमाटर तो सबके पहुंच से दूर हो गई है। इसकी कीमत सुनकर ही लोग मुंह बिचकाते हैं और जेब टटोलते हैं।टमाटर बाजार में बीते डेढ सप्ताह से एक सौ रुपए किलो बिक रही है। हॉट में तो यह मिल भी नहीं पाती है। टमाटर उंचे मार्केट में ही देखने को मिल रही है। हरी सब्जियों में सबसे कम कीमत 5 के किलो बिकने वाली कुंदरी इस समय 25 रुपए किलो बिक रही है। हरी सब्जियों का मौसम होने के बावजूद परवल 60, भिंडी 50, नेनुआ 50, बैगन 40, करेला 40 के किलो बिक रही है। सब्जी के लिए केला भी 25 से 30 के दर्जन मिल रहे है। कद्दू 20 से 25 के पीस मिल रहे हैं। वही सब्जियों का राजा कहे जाने वाला आलू 18 से 20 रुपए किलो बिक रहा है। इसकी कीमत में कोई खास उछाल नहीं है। हालांकि यह पिछले पखवाड़े 10 से 12 रुपए किलो बिक रही थी। महुआ के परसोनिया निवासी और सब्जी उत्पादक किसान अजय कुमार व गन्नू महतो बताते हैं कि पिछली बार हुई बारिश के कारण हरी सब्जियों के पौधे गल गए। खासकर लत्तेदार सब्जियां तो पूरी तरह बर्बाद हो गई। सब्जियों के खेत में जलजमाव के कारण ऐसी स्थिति आई है। किसानों का कहना है कि खेतों में सब्जियां लहलहा रही थी लेकिन एकाएक हुई भारी बारिश से खेतों में जलजमाव के कारण वह बर्बाद हो गई। बीते एक पखवारे से हरी सब्जियों की कीमत में प्रति किलो 20 से 25 रुपए किलो इजाफा हुआ है। निम्न और समान्य परिवार के लिए तो सब्जी खरीदना मुश्किल हो गया है। गांव में लोग चना के छोले सब्जियों के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।