महुआ में हिंदू कारीगरों ने ताजिया निर्माण में लिया बढ़-चढ़कर भाग
महुआ में हिंदू कारीगरों ने ताजिया निर्माण में लिया बढ़-चढ़कर भाग
5 हजार से लेकर 15 हजार तक की ताजिए का बयाना दे रखे हैं खरीददार
मन्नत मान रखें लोग करवले पर ताजिए का करेंगे पहलाम
मुस्लिम कारीगरों के साथ हिंदू कारीगर भी ताजिया निर्माण में दे रहे योगदान
महुआ। रेणु सिंह
मुहर्रम को लेकर महुआ के विभिन्न जगहों पर ताजिए का निर्माण जोरों पर चल रहा है। कारीगर ताजिया को लोगों की मांग के अनुसार आकर्षक बनाने में दमखम से जुटे हैं। इस वक्त कारीगरों को काम मिला है। इसे बनाने में उन्हें अच्छी मजदूरी भी मिल रही है। ताजिया को बनाने में ना सिर्फ मुस्लिम कारीगर की हिंदू कारीगर भी लगे हुए हैं। इससे यहां गंगा जमुनी तहजीब देखने को मिल रही है। दर्जनो कारीगर ताजिया निर्माण को अंतिम रूप देने में लगे थे।
महुआ थाने के पास शाही मस्जिद परिसर के अलावा जवाहर चौक सहित विभिन्न जगहों पर में दर्जनों कारीगर बांस के कमाचिओं को गढकर उससे ताजिया निर्माण में जुटे हैं। हालांकि यह ताजिया उन्हीं की बनाई जा रही है जो पहले से बयाना दे चुके हैं। यहां पर 5 हजार रुपए से लेकर 15 हजार तक के ताजिया बनाए जा रहे हैं। कारीगर कीमत के अनुसार ताजिया को आकर्षक और बेहतरीन रूप देने में लगे हैं। यहां शाही मस्जिद पर ताजिया का निर्माण में जुटे कारीगर मो कलाम, सोनू कुमार, लखनदेव कुमार, मो इरशाद, मो मेराज, नियाज हैदर, मो रियाज, मो मोहिद, मो अली अजरुदीन, मो सकरद्दीन, महिला कारीगर अफसाना खातून, मनोज, रहमत आदि बताते हैं कि उन्हें इस काम में मन लगता है वह अपनी कारीगरी को बांस से कमाचियों से दिखाना चाहते हैं। उनका यह भी कहना है कि जब यह ताजिया अल्लाह ताला को समर्पित की जाएगी तो उसका प्रतिफल उन्हें भी प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि ताजिया पहलाम के लिए जो लोग मन्नत मान रखे हैं। वे अपने शौक के अनुसार निर्माण करवा रहे हैं।
इधर मुस्लिम समाज के लोगों ने बताया कि ताजिया को जब लेकर नगर भ्रमण करते हैं तो सबसे ज्यादा हिंदू समाज की महिलाएं आकर इनकी पूजा करती हैं। मुहर्रम पर ताजिया से दोनों समुदाय का एक अटूट विश्वास जुड़ा होता है। मो शौकत, मो सद्दाम, मो इम्तियाज, डॉ मो हुसैन, कलाम आदि बताते हैं कि यह ताजिया का त्यौहार दोनों समुदाय को जोड़ने का काम करती हैं। इस पर जब झड़नी गीत गाया जाता है तो हर लोग भाव वत्सल हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में यह त्यौहार दाहा से प्रसिद्ध है। दाहा पर मुस्लिम समाज के साथ हिंदू भाई बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं और वह भी इस खेल में अपना करतब दिखाते हैं। मुहर्रम आगामी 29 जुलाई को होगी। पर्व को लेकर मुस्लिम बस्तियों में उत्साह और उमंग देखा जा रहा है। यहां चकमजाहिद स्थित कर्बला मैदान में 85 फीट ऊंची ताजिया का निर्माण किया जा रहा है। इसे कारीगर कई भाग में निर्माण कर रहे हैं। जिसे जोड़ जोड़ कर उंचा करेंगे। वे ताजिया को अंतिम रूप देने में लगे हैं।