सीएए के तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों यानी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को नागरिकता दी जाएगी। सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी एप्लाई कर सकता है। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी ऐसे मामले पेंडिंग हैं वे सब ऑनलाइन कन्वर्ट किए जाएंगे। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। उसके बाद गृह मंत्रालय जांच करेगा और नागरिकता जारी कर देगा। “पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इस्लामिक देश हैं और यहां पर गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर सताया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है। इसी कारण गैर-मुस्लिम यहां से भागकर भारत आए हैं। इसलिए गैर-मुस्लिमों को ही इसमें शामिल किया गया है। फिर इसके बाद हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ये भी कहा कि CAA कानून से घबराना नहीं है। किसी को भी यह नागरिकता लेने वाला कानून नहीं है। बल्कि नागरिकता देने वाला है। अब मुस्लिम भी आवेदन कर सकते हैं। पाकिस्तान, बर्मा, बंग्लादेश, आफगानिसतान, अन्य देशों से आए हुए शरणार्थी गैर मुस्लिम जो पांच साल से है। और मुस्लिम 11 साल से हैं। वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। आप सभी को साफ तौर पर बता दें कि कोई भी विदेशी मुस्लिम भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है पर शर्त है कि वह भारत में शरणार्थी न हो