बिहार बेतिया में एईएस /जेई पर हुआ प्रशिक्षकों का एक दिवसीय प्रशिक्षण

बिहार बेतिया में एईएस /जेई पर हुआ प्रशिक्षकों का एक दिवसीय प्रशिक्षण

  • चमकी से प्रभावित बच्चे की पहचान व प्रारम्भिक इलाज के बताए तरीके
  • अप्रैल से अगस्त तक चमकी का होता है प्रभाव – डीभीबीडीसीओ डॉ हरेंद्र कुमार

बेतिया। 18 मार्च
जिले के बेतिया माध्यमिक शिक्षक भवन परिसर में एईएस/जेई पर एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार ने की। मौके पर उन्होंने बताया कि समान्यतः गर्मियों के मौसम में एईएस/जेई के लक्षण बच्चों में देखें जाते है, उन्होंने बताया कि चमकी से प्रभावित बच्चों के तुरंत इलाज व पहचान हेतु आज प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, बीएचएम, सीएचओ, भीबीडीएस का प्रशिक्षण कराया गया है, ताकि प्रशिक्षित होकर वे लोग अपने अनुमंडल, पीएचसी में एएनएम, जीएनएम आशा व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देंगे। ताकि जिले में चमकी बुखार से प्रभावित बच्चों का सही समय पर उपचार हो सकें। डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने एईएस से लड़ने की तैयारी शुरु कर दी है। इस क्रम में जिले के जीएमसीएच में 30 बेड, अनुमण्डलीय अस्पताल में 10 बेड, पीएचसी में 02 बेड बनाए गए है। उन्होंने बताया की जिले को चमकी के प्रभाव से बचाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

चमकी प्रभावित बच्चों का करना है तुरंत उपचार:

डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि चमकी से प्रभावित बच्चे मिलने पर तत्काल उनकी प्राथमिक चिकित्सा की जाएगी, वहीं एईएस पीड़ित बच्चों के हालत स्थिर होने के बाद या प्राथमिक उपचार के बाद ही एम्बुलेंस में बच्चों को उनके अभिभावक के साथ जीएमसीएच या एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर अस्पताल में रेफर किया जाएगा।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ मनीकांत कुमार ने चिकित्सकों को एसओपी में शामिल उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं, डोज, जांच और एईएस पीड़ित के उचित प्रबंधन की बारीकी बतायी।

चमकी के लक्षण, एवं इससे बचने के उपाय:

चमकी होने पर मांसपेशी में दर्द, पूरे शरीर में थकान, कंपन होना, तेज बुखार, सुस्त होना, या भूख न लगना, चेतना का बदला हुआ स्तर, भटकाव, उल्टी होना, शरीर में पानी की कमी होना। इससे बचने के लिए रात्रि में बच्चों को खाली पेट न सोने दें, धुप में न निकले, पानी का ज्यादा सेवन करें, ताजे फल खाए, ओआरएस घोल का सेवन करें, किसी प्रकार का लक्षण दिखे तो तुरंत आशा दीदी को बताए, और अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल में इलाज कराए।

मौके पर गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मूर्तजा अंसारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेंद्र कुमार, डॉ श्याम रजक, डॉ अब्दुल गनी, डॉ एस एन महतो, डॉ विजय कुमार चौधरी, डॉ मिथिलेश चंद्र सिन्हा, भीडीसीओ रमेश कुमार मिश्रा, भीबीडीएस सुजीत कुमार वर्मा, प्रकाश कुमार, एफएलए संतोष कुमार व अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल हुए।

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