गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में आभा निबंधन मुक्त करने की की गई मांग।
गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में मरीजो की संख्या में कमी क्यों इसका जिम्मेदार राज्य सरकार यह भारत सरकार।क्योंकि सरकार की सरकार ही नही चाहती कि किसी भी मरीजो का सही ढंग से इलाज हो पाए ऐसा इलाज किस काम का पहले की अपेक्षा मरीजो को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है आए दिन विवाद उत्पन्न हो रहे हैं कभी-कभी ऐसा ज्ञात हुआ है कि मरीज का अगर स्लीप खो जाता है तो उस मरीज को दोवारा स्लिप लेने के लिए लाइन लगाना पड़ जाता है।
पटना सिटी: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक मुस्लिम कल्याण संगठन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में आभा निबंध मुक्त करने की मांग की। पटना सिटी में इन दिनो प्रायःमरीजो के बीच आक्रोश का माहौल देखा जा रहा है लोग चिकित्सक के बिना दिखाए चले जाते है इसका कारण है आभा निबंधन। आभा निबंधन होने से गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या में काफी कमी हुई है। सूत्रों के अनुसार से इसका मुख्य कारण यह है की आवक द्वारा निबंध ऊर्जा कटवाने पर उसे मरीज को एक स्लिप के साथ नंबर दिया जाता है। स्लीपर नंबर को ले जाकर चिकित्सा पदाधिकारी के पास दिया जाता है। उचित इलाज के लिए चिकित्सा पदाधिकारी के मजबूरी बन गई है। उचित इलाज में उचित दवा देने के लिए ऑनलाइन को चुनना पड़ता है क्योंकि जो दवा अस्पताल में मौजूद होता है इस दवा को मरीज को देखकर ऑनलाइन के द्वारा सुझाव दिया जाता है। डॉक्टर के द्वारा देखे जाने के बाद दवा वितरण केंद्र में काफी संख्या में मरीजों की संख्या जमा हो जाते हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक मुस्लिम कल्याण संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रब्बानी ने कहा है कि यह सालासर मरीजों को परेशान करने की साजिश की जा रही है अगर राज्य सरकार और भारत सरकार गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल को पहले की तरह चौमुखी विकास नहीं देखना पसंद करती है तो अस्पताल को बर्बाद भी नहीं करें। दूसरी और राष्ट्रीय संघ मुस्लिम कल्याण संगठन के प्रदेश महासचिव सनावर खान ने कहा कि निबंध माफी ब्लड प्रेशर एवं दवा वितरण में मैरिज लोगों को सुबह से शाम का चक्कर अस्पताल में लगाना पड़ जाता है। क्योंकि पटना जिला अंतर्गत ग्रुप में सदर अस्पताल में सिटी क्षेत्र में रहने के कारण कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र पढ़ते हैं जिन्हें अस्पताल में आवागमन होता रहता है जरूरी नहीं है कि हर एक मरीज के पास एंड्रॉयड मोबाइल या स्क्रीन टच मोबाइल ही हो। भारत सरकार एवं बिहार सरकार के द्वारा अस्पताल को विकास के बदले विनाश का कारण बना के रख दिया है।सबसे बड़ी बात यह है की किसी भी चिकित्सक पदाधिकारी को अगर वेहतर इलाज के लिए अस्पताल से बाहर का दवा लिखना हो तो वह ऑनलाइन पुर्जा के अलावा उस पुर्जा पर हस्तलिखित लिखे गे तो वो अस्पताल प्रशासन द्वारा मान्य नही माना जाए गॉ। जैसे कि किसी ताकत मि दवा, टूटी हुई हड्डी का दवा दर्द का सुई लिखने पर ANM, GNM, चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा दवा नहीं दिया जाता हस्तलिखित दवा नहीं दिया जाता अब इसके लिए इसका जिम्मेदार कौन राज्य सरकार केंद्र सरकार या फिर अस्पताल प्रशासन। सूत्रों की मानो तो गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल से मरीज घटकर नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चले गए हैं। आखिर गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में मरीज को घटाने में किन का समर्थन कहीं सफेद पोश के संरक्षण में तो नहीं फल फूल रहे है गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल