एनीमिया मुक्त भारत के तहत मेडिकल कैंप में 110 लोगों की हुई जांच

एनीमिया मुक्त भारत के तहत मेडिकल कैंप में 110 लोगों की हुई जांच

  • किशोर, किशोरी, धातृ, गर्भवती महिलाओं की हुई हीमोग्लोबिन जांच
  • जरूरतमंदों के बीच नीली, गुलाबी और लाल गोली का हुआ वितरण

मोतिहारी, 20 दिसम्बर
सदर प्रखंड मोतिहारी के लखौरा पंचायत में एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत मेडिकल कैंप आयोजन किया गया। इसमें 110 से अधिक किशोर, किशोरी, धातृ, गर्भवती महिला व बुजुर्गों की हीमोग्लोबिन जांच की गयी तथा उनके बीच नीली, गुलाबी और लाल गोली का वितरण किया गया। सदऱ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रबंधक संध्या कुमारी ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले व्यक्ति के रक्त की जांच की जाती है। दूर-दराज के वैसे लोग जो किसी कारणवश स्वास्थ्य केंद्र नहीं पहुंच पा रहे हैं, उनके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर मेडिकल कैंप लगाकर रक्त के नमूने की जांच की जाती है। अगर कोई एनीमिया से पीड़ित मिलता है तो उसको आयरन, फोलिक एसीड की उम्र के अनुसार गोली निःशुल्क उपलब्ध कराते हुए स्वास्थ्य केंद्र बुलाकर चिकित्सकीय सहायता लेने का सुझाव दिया जाता है।

कैसे करें एनीमिया की पहचान:

डीआईओ डॉ शरत चंद्र शर्मा ने बताया कि एनीमिया शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी या खराब लाल रक्त कोशिकाओं के कारण होता है। इस कारण शरीर के अंगों में ऑक्सीजन पहुंचना कम हो जाता है। इससे थकान, त्वचा में पीलापन, सांस फूलना, सिर घूमना, चक्कर आना या दिल की तेज़ धड़कन तेज हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि दुनिया भर में 6-59 महीने की उम्र के 40 फीसदी बच्चे, 37 फीसदी गर्भवती और 15-49 साल की उम्र की 30 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। हरी सब्जियाँ, ताजे फल, केला, मछली आदि के नियमित सेवन से आयरन की कमी से बचा जा सकता है।

किशोरियों में भी देखी जा रही खून की कमी:

हेल्थ एक्सपर्ट डॉ सोनाली गुप्ता ने बताया कि किशोरियों में खून की कमी (एनीमिया) आम है। यह कोई बड़ी बीमारी नहीं है। खाने-पीने में पौष्टिक तत्वों को शामिल कर एनीमिया दूर किया जा सकता है। 10 से 16 वर्ष की उम्र किशोरावस्था की होती है। यह उम्र बेहद संवेदनशील होती है, क्योंकि इस उम्र में हार्मोन में व्यापक बदलाव होने लगते हैं। मानसिक के साथ शारीरिक अंगों में भी बदलाव होते हैं। ऐसे में किशोर-किशोरियों के समक्ष कई प्रकार की समस्याएं और जटिलताएं भी आती है, किशोरावस्था में किशोरियों के माहवारी की शुरुआत होती है। इस समय मन में कई प्रकार की बेचैनियां भी होने लगती है। इस दौरान हाइजीन का खासा ख्याल रखना चाहिए और आयरनयुक्त भोजन करना चाहिए। प्रायः देखा जाता है पौष्टिक भोजन नहीं मिलने के कारण भी किशोरियां एनीमिया की शिकार भी हो जाती हैं।

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