शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन गौरव अवॉर्ड 2024 मुंबई के अंधरी में हुआ संपन्न बॉलीवुड कई कलाकारों को किया गया सम्मानित

शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन गौरव अवार्ड 2024 दूसरा सीज़न मुंबई के अंधेरी में सफलता पूर्वक सम्पूर्ण हुआ जिसके ऑर्गनाइजर सिनेमा डायरेक्टर अज़हर हुसैन हैं । रेडएसिड फिल्म्स द्वारा इस प्रेजेंट किया गया इस अवॉर्ड फंक्शन में बॉलीवुड से कई कलाकार शामिल हुए जिनको शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन गौरव अवार्ड से सम्मानित किया गया और उन्हें अपना भारत के प्रति सबसे बड़ा आज़ादी की लड़ाई में योगदान के बारे में बताया, इवेंट में आए गेस्ट कॉमेडियन सुनील पाल, एक्टर रमेश गोयल, लेजेंड म्यूजिक डायरेक्टर दिलीप सेन, एक्टर गगन गुप्ता, एक्टर सूफियान कपाड़िया, एक्टर राजकुमार कनौजिया, एक्टर असगर अली खान, एक्टर सुरेन्द्र सुरेंदर ठाकुर, प्रोड्यूसर अभीर खान, एक्टर पार्था अकेरकर, रशियन एक्ट्रेस एलेना टुटेजा, अरबाज शेख़, ताहिर कमाल खान, प्रोड्यूसर जीत कपूर, ज़िया शेख़, एक्टर तारीख मोहम्मद और इवेंट के सहयोगी युवराज यादव रहे जो कि बॉलीवुड में एक्टर हैं ।
शहिद दादा साहेब अमीरुद्दीन हिंदुस्तान के एक वीर क्रांतिकारी थे, क्रांतिकारी मौलवी साहब जाफिरुद्दीन और बीबी अमानी खातून के बेटे थे,
1919 में जब पूरा हिंदुस्तान दमनकारी रौलेट एक्ट के खिलाफ़ आक्रोश में था तब दादा साहब अमीरुद्दीन ने आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। जिसके लिए दादा साहब अमीरुद्दीन के बेटे स्वतंत्रता सेनानी शमसुद्दीन को मोहम्मद अली जिन्ना ने 1912 में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग पार्टी का जहानाबाद से कमांडर नियुक्त किया था जो कि हिंदुस्तान के आज़ादी के बाद अब पाकिस्तान में मुस्लिम लीग पार्टी के नाम से जाना जाता है, शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन भारत की आज़ादी के लिए अथक प्रयास दुखद रूप से समाप्त हो गया जब 30 दिसंबर 1919 को ब्रिटिश सैनिक के गोलियों का शिकार हो गए। शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन के दादा उत्तर प्रदेश मुरादाबाद के रहने वाले मौलाना नन्हा शाह एक बहुत बड़े ब्रिटिश राज में क्रांतिकारी थे जिन्हें ने उनके साथी वीर कुंवर सिंह, जुल्फिकार अली खान, शहीद पीर अली के साथ कई साथी गण ने मगध भारत जाकर आजादी की जंग लड़ी और मगध भारत में पटना सुल्तानगंज में ही बस गए जहां उनका बेटा पैदा हुआ जो कि बड़े होकर एक अच्छे साबित कदम क्रांतिकारी बने जिनका नाम प्रचालित है क्रांतिकारी मौलवी जफिरुद्दीन के नाम से जो कि देश के आज़ादी में क्रांति के मुहिम में जुड़ गए, मौलाना जफिरुद्दीन के दोस्त जहानाबाद के एक दरगाह के खादिम थे जिनके इंतेकाल के बाद मौलाना जफिरुद्दीन दरगाह के खादिम रहे दरगाह सैयद सैलानी बाबा के नाम से प्रचलित है । क्रांतिकारी मौलाना जफिरुद्दीन जहानाबाद में बस गए और उनका परिवार भी वही रहने लगा। फिर एक जबरदस्त आंधी ने बिहार का ब्रिटिश राज में शेर जैसा जिगर वाला अमीरुद्दीन को जन्म दिया जिसने मगध भारत के पाटलिपुत्रा और जहानाबाद से पूरे देश की आज़ादी के लिए अपने शरीर को खून से तार तार किया और कई ब्रिटिश सैनिक और हिंदुस्तान के खिलाफ कदम उठाने वाले ब्रिटिश सरकार को खत्म किया, उनका एक मशहूर नारा (आंधी आई भागो अंग्रेज, लटक छोड़ो खटके खाओ)
दादा साहब अमीरुद्दीन जब शहीद हुए ब्रिटिश सरकार के सैनिकों द्वारा गोली लगने पे, तब पूरा जहानाबाद और मगध भारत सुन पढ़ गया था । क्योंकि शेर दिल जाबांज दादा साहब अमीरुद्दीन शहीद हो गए ।
जहानाबाद और पूरे मगध भारत में क्रांतिकारियों का आक्रोश तेजी से बढ़ा । जिसके बाद शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन के बेटे स्वतंत्रता सेनानी शमशुद्दीन ने नेता सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के नियुक्त में उनके साथ कई आंदोलन में भाग लिया, जिसके वजह से क्रांतिकारी मोहम्मद शमसुद्दीन के बेटे क्रांतिकारी मोहम्मद ग़ुलाम रसूल को ब्रिटिश सरकार ने कानूनी हिरासत में ले लिया जेल भेज दिए गए जेल में सजा के तौर पे लोहे के सरियों से पीठ पे दागा जाता था और क्रांतिकारी मोहम्मद शमसुद्दीन को और उनके साथी को इस मुहिम से हटाने के लिए सन्देश भेजा जाता था सजा के तौर पे मोहम्मद ग़ुलाम रसूल को कमजोर करने की सारी नाकाम कोशिश कर चुके ब्रिटिश सरकार से जमानत 6 महीने बाद करवा लिया गया, फिर मोहम्मद ग़ुलाम रसूल और उनके साथी खैरू मिया और डोमन मिया ने मगध भारत में गांधी जी के साथ कई क्रांतिकारियों का देश के आज़ादी के लड़ाई में साथ दिया,
15 अगस्त 1947 में देश को आजादी मिली हिंदुस्तान में जश्न आज़ादी मनाई गई। देश के पहले राष्ट्रपति बिहार के डॉक्टर राजेंदर प्रसाद बने और पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु बने ।
7 वीं पीढी महान पोते सरफराज अहमद जो कि पेशे से लेखक और निर्देशक हैं सिनेमा जगत में और 8 वीं पीढी महान पोते सिनेमा डायरेक्टर अज़हर हुसैन द्वारा इस ऐतिहासिक खोज का उद्देश्य ज़ाहिर करना और बहादुर क्रांतिकारी शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन और उनके सभी खानदान के क्रांतिकारियों का देश को आजादी दिलाने वाले सभी पीढ़ियों का सम्मान करना और भारत की आज़ादी की लड़ाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।
एक घर के पांच सदस्य ने देश की आज़ादी में अपनी जान नहीं गंवाई बल्कि एक के बाद एक पीढ़ी ने देश के लिए अपना योगदान दिया जिसमें क्रांतिकारी मौलाना जफरुद्दीन के बेटे क्रांतिकारी दादा साहब के नाम से प्रचलित अमीरुद्दीन शहीद हुए और उनके पीढ़ियों ने भारत में एक क्रांतिकारी और समाज सेवक के तौर पे हिंदुस्तान में अपनी भूमिका निभाई
जिसमें सबसे अहम भूमिका क्रांतिकारी मोहम्मद ग़ुलाम रसूल के पोते और मोहम्मद इमामुद्दीन के बड़े बेटे मोहम्मद अनवर हुसैन ने पूरे पटना और जहानाबाद में समाजिक कार्यों को तेजी से फैलाया और पटना के जाने माने पॉलिटिशियन भी रहे.
शहीद दादा साहब अमीरुद्दीन के परिवार से ब्रिटिश राज में लग भग 300 से भी ज्यादा लोगों की हत्या कर दिया गया था 5 पीढी ने देश की आज़ादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसके लिया ये कुर्बानी कभी नहीं भूली जाएगी। समाचार और विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें मिट्ठू शाह से मोबाइल नंबर 9198041777

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