लखनऊ में सूफी समाज मलंग प्रकोष्ठ की बैठक में फकीर समाज की राष्ट्रीय भूमिका पर हुई चर्चा

लखनऊ में सूफी शाह मलंग प्रकोष्ठ की बैठक में फकीर समाज की राष्ट्रीय भूमिका पर चर्चा
लखनऊ: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सूफी शाह मलंग प्रकोष्ठ की मंडली बैठक में राष्ट्र हित में फकीर समाज की भूमिका पर चर्चा लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सूफी शाह मलंग (फकीर) प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण मंडली बैठक गांधी भवन प्रेक्षागृह में संपन्न हुई। इस बैठक में उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों—आगरा, अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर, चित्रकूट, झांसी, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मिर्जापुर, बरेली, बस्ती, देवीपाटन, सहारनपुर और वाराणसी—के प्रभारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में राष्ट्र हित में मुस्लिम फकीर समाज की भूमिका, जातिगत जनगणना, और सामाजिक सौहार्द जैसे प्रमुख मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
जातिगत जनगणना और फकीर समुदाय की पहचान
बैठक में केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के निर्णय की सराहना की गई। सूफी शाह मलंग समुदाय, जो उत्तर प्रदेश की पिछड़ा वर्ग सूची में क्रमांक 30 और केंद्रीय सूची में क्रमांक 29 पर दर्ज है, के लिए यह जनगणना विशेष रूप से लाभकारी मानी गई। समुदाय के लोगों से अपील की गई कि वे जनगणना के दौरान अपनी मूल जाति “फकीर” को स्पष्ट रूप से दर्ज करें और धर्म के रूप में “इस्लाम” का उल्लेख करें। इसके अतिरिक्त, उपजातियों जैसे शाह, साईं, अल्वी, दीवान, मलंग-मदार, मदारी, मियां, काजी, मुल्ला, दरवेश, छपरबंद, कलंदर, चिश्ती, कादरी, साबरी, वारसी, शोहरवर्दी, बानवा-फकीर, जोगी-फकीर आदि को भी स्पष्ट करने का आग्रह किया गया।
समुदाय के प्रबुद्धजनों को निर्देश दिए गए कि वे प्रत्येक शुक्रवार को मस्जिदों, मदरसों, दरगाहों, खानकाहों, चिल्लों और तकियों में जाकर लोगों को इस बारे में जागरूक करें। यह कदम फकीर समुदाय की पहचान को मजबूत करने और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया। राष्ट्र हित में फकीर समाज की भूमिका बैठक में फकीर समाज की राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर विशेष जोर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबा मजनू शाह मलंग और बाबा अहमदउल्ला शाह जैसे पूर्वजों के योगदान को याद करते हुए, समुदाय से उनके पदचिह्नों पर चलने का आह्वान किया गया। इस संदर्भ में निम्नलिखित बिंदुओं पर सहमति बनी: राष्ट्र पहले, धर्म बाद में: फकीर समाज को राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए अपनी पहचान को मजबूत करना चाहिए।
संविधान की सर्वोच्चता: शरियत का राजनीतिक दुरुपयोग अस्वीकार्य है, और संविधान को सर्वोपरि माना जाना चाहिए।
त्योहारों में भाईचारा: त्योहारों को सौहार्द का प्रतीक बनाना चाहिए, न कि विवाद का कारण।
वोट बैंक की राजनीति से मुक्ति: फकीर समुदाय को डर और वोट बैंक की राजनीति से बाहर निकालने की जरूरत है।
वक्फ बोर्ड सुधार: वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए, इसे पारदर्शिता और समाज सेवा के लिए महत्वपूर्ण बताया गया। आतंकवाद के खिलाफ संदेश: आतंकवाद का मजहब से कोई संबंध नहीं है, और इस संदेश को देशभर में फैलाने की जरूरत है।
हिंसा की निंदा: पहलगाम और मुर्शिदाबाद जैसी घटनाओं की कड़ी निंदा की गई और इन्हें शर्मनाक बताया गया।
आस्था का सम्मान: विभिन्न समुदायों की आस्था का आदान-प्रदान भारत की पहचान है, और इसका सम्मान करना चाहिए। मीडिया की जिम्मेदारी: मीडिया और सोशल मीडिया को जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए, न कि नफरत फैलानी चाहिए। राष्ट्रवादी मुस्लिमों को हिस्सेदारी: उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में राष्ट्रवादी मुस्लिम फकीर समुदाय को सरकारी योजनाओं और नेतृत्व में हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए। विशेष प्रार्थना और एकजुटता का संदेश। फकीर समाज ने भारतीय सेना के वीर सैनिकों की कुशलता और सफलता के लिए विशेष प्रार्थना का आयोजन किया। समुदाय के लोगों से सेना के प्रति एकजुटता दिखाने और उनके लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया गया। यह कदम राष्ट्र के प्रति समुदाय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
खुर्शीद अली शाह की नियुक्ति
बैठक के अंत में आयोजक रिटायर्ड पुलिस सब-इंस्पेक्टर खुर्शीद अली शाह को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच सूफी शाह मलंग प्रकोष्ठ का जिला सह-संयोजक (लखनऊ) घोषित किया गया। उनकी इस नई जिम्मेदारी को समुदाय ने उत्साह के साथ स्वीकार किया।
प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
बैठक में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक ताहिर शाह, खुर्शीद शाह, मोहसिन शाह, सफीक शाह, मोहम्मद नियाज शाह, मोहम्मद राज, शहजादा सलीम शाह, तनवीर आलम, यूनुस शाह, बाबा आलम वारसी सहित 18 मंडलों के प्रभारी उपस्थित रहे। इन हस्तियों ने अपने विचार साझा किए और फकीर समाज को राष्ट्र हित में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।
निष्कर्ष
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सूफी शाह मलंग प्रकोष्ठ की यह बैठक राष्ट्र हित में फकीर समाज की एकजुटता और सक्रियता का प्रतीक बनी। जातिगत जनगणना में अपनी पहचान को मजबूत करने से लेकर सामाजिक सौहार्द और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने तक, समुदाय ने कई महत्वपूर्ण संकल्प लिए। यह बैठक न केवल फकीर समाज के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संदेश लेकर आई है कि एकजुटता और संवाद से ही भारत सांप्रदायिक सौहार्द का वैश्विक प्रतीक बन सकता है। तहलका न्यूज़ चैनल के लिए मिठ्ठू शाह की रिपोर्ट। समाचार और विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें मिट्ठू शाह से मोबाइल नंबर 9198041777 पर

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