बिहार मोतिहारी में चौपाल लगाकर चमकी बुखार के बारे में लोगों को किया जा रहा है जागरूक

बिहार मोतिहारी में चौपाल लगाकर चमकी बुखार के बारे में लोगों को किया जा रहा है जागरूक

  • चमकी के लक्षण की पहचान एवं बचाव के बताए उपाय
  • रात्रि में बच्चों को खाली पेट न सोने दे माता-पिता

मोतिहारी, 06 अप्रैल

स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार जिले के चमकी प्रभावित प्रखंडो में चमकी बुखार के बारे में जागरूक करने को लेकर प्रखंड स्तर के पदाधिकारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, एमओ व अन्य कर्मियों के द्वारा बैठक की जा रहीं है, वहीं जिले के तेतरिया प्रखंड अन्तर्गत वार्ड 04, आंगनबाड़ी केंद्र संख्या – 03 दलित बस्तीयों में चौपाल लगाकर में लोगों को मस्तिष्क ज्वर के लक्षण की पहचान एवं इससे बचाव के उपाय की जानकारी दी गई। चौपाल में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक आशा फैसिलिटेटर, आशा,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा
मस्तिष्क ज्वर के लक्षण की पहचान एवं इससे बचाव के उपाय की जानकारी दी गई। जिले के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिँह ने बताया की चमकी से बचाव का सबसे बड़ा हथियार जागरुकता है,उन्होंने बताया की बच्चों को रात में खाली पेट ना सुलाएं और किसी प्रकार की दिक्कत होने पर सीधे सरकारी अस्पतालों में लेकर जाएं । किसी प्रकार की ऐसी परेशानी होने पर देर ना करें। चमकी के लक्षण दिखाई पड़ने पर तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाएं।

ज्यादा गर्मी पड़ने पर सावधानी बरतने की है जरूरत-

एसीएमओ डॉ श्रवण कुमार पासवान ने बताया ज्यादा गर्मी पड़ने पर औऱ अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, बच्चे बेवजह धूप में घर से न निकलें, गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें। ताकि चमकी के साथ साथ अन्य मौसमी बीमारियों पर भी रोक लग सके। उन्होंने बताया की जिले के मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ एईएस से लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है। चमकी प्रभावित क्षेत्र मेहसी, चकिया, मधुबन, तेतरिया, चकिया पर विभाग चौकन्ना है। एईएस से बचाव के लिए महादलित टोलों के साथ जगह जगह स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा चौपाल का आयोजन किया जा रहा है।

एईएस के लक्षण:

  • बच्चों को बहुत ही तेज बुखार होता है।
    -बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है।
  • मुंह से भी झाग आता है।
  • भ्रम की स्थिति होना।
  • पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना।
  • हाथ पैर का अकड़ना।
  • बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन का ठीक नहीं रहना।
  • बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है।

एईएस से बचाव हेतु सावधानियां:

  • बच्चों को धूप से बचायें।
  • ओ आर एस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
  • रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।

– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें। पैरासिटामोल की गोली या सीरप दें।

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