बिहार पटना में कालाजार निरोधी दवा का छिड़काव 6 जिलों में शुरू, बाकी में शीघ्र
- राज्य वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय द्वारा कालाजार पर समीक्षा बैठक का आयोजन
- कालाजार उन्मूलन की स्थिति बनाये रखने व स्प्रे की तैयारियों पर किया गया गम्भीर मंथन
- 33 जिलों के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय के पदाधिकारियों ने की बैठक में शिरकत
पटना- राज्य एवं जिला स्तर पर आईआरएस के छिड़काव की तैयारियों एवं राज्य में कालाजार मुक्त स्थिति बनाये रखने की रणनीतियों पर चर्चा के लिए शनिवार को वर्चुअल माध्यम से राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया. बैठक का शुभारंभ करते हुए अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय, बिहार डॉ. अशोक कुमार ने सभी उपस्थित अधिकारीयों का स्वागत किया और दवा छिड़काव की शुभकामनायें दिन. वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी सह राज्य कालाजार तकनीकी प्रभारी राकेश कुमार ने बताया कि राज्य के 6 जिलों गोपालगंज, सुपौल, भागलपुर, नवादा, बांका एवं नालंदा में आईआरएस का छिड़काव शुरू हो चुका है. सिंथेटिक पाराथाईराइड की ससमय उपलब्धता के लिए राज्य प्रयासरत है और उसकी पूरी उपलब्धता होते ही इसी महीने राज्य के सभी 33 प्रभावित जिलों में आईआरएस का छिड़काव शुरू किया जायेगा. उन्होंने बताया कि स्प्रे के लिए सभी गठित टीम के कर्मियों को स्प्रे के पूर्व प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
सघन निगरानी एवं अनुश्रवण, उपचार, एक्टिव एवं पैसिव
केस फाइंडिंग की रणनीति कारगर:
बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टेट एनटीडी कोऑर्डिनेटर डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि 33 प्रभावित जिलों के सभी प्रखंड में 1 व्यक्ति प्रति 10,000 की जनसँख्या का लक्ष्य हासिल किया है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति विगत 2 वर्षों से कायम है. इस स्थिति को बनाये रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि फिर 3 वर्षों के उपरांत भी यही स्थिति रहती है तो राज्य की रिपोर्ट जमा करने एवं पुष्टि के उपरांत कालाजार एक सार्वजानिक स्वास्थ्य समस्या नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि पीकेडीएल केसेस पाए जाने पर त्वरित रेस्पोंस करने की आवश्यकता है. 15 दिन से अधिक बुखार वाले मरीजों की सघन एवं नियमित निगरानी होनी चाहिए.
की इन्फोर्मेर्स की ली जानी चाहिए सहायता:
पिरामल स्वास्थ्य के इंद्रनाथ बनर्जी ने बताया कि संस्था लगातार एक्टिव एवं पैसिव केस फाइंडिंग में विभाग की मदद कर रहा है. उन्होंने कहा कि कालाजार के संदिग्ध मरीजों को ढूँढने में की इन्फोर्मेर्स अहम् भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि उन्हें समुदाय की सटीक जानकारी होती है. बैठक में 33 जिलों के जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी, वीबीडी कंसलटेंट सहित सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शिरकत की.