“खुशियों की पोटली” से होगा नव दम्पत्तियों की राह आसान
- पोटली में महिला एवं पुरुषों के गर्भ निरोधक साधन
- महिला बंध्याकरण के साथ-साथ पुरुष नसंबदी पर भी जोर देने की जरूरत- सीएस
- बढ़ती जनसंख्या रोक के उपाय- सही उम्र में शादी, सोंच कर बच्चे
मोतिहारी। 16 जुलाई
जिले में बढ़ती जनसंख्या को लेकर लोगों को जागरूक करते हुए सभी 27 प्रखंडो में स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार 31 जुलाई तक “जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा” मनाया जा रहा है। गांव, बस्तीयों में सारथी रथ व आशा, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी, के द्वारा नव दंपतियों से मिलकर महिलाओं को एकजुट करते हुए उन्हें विवाह के बाद की तुरंत परिवार न बढ़ाते हुए परिवार नियोजन सामग्रीयों की सहायता से कुछ समय इंतजार करने की बातें बताई जा रहीं है। सास-बहु सम्मेलन, चौपाल आयोजित करते हुए बताया जा रहा है की पहला बच्चा दो साल के बाद हीं हो एवं पहले और दूसरे बच्चे के बीच का अंतराल कम से कम तीन साल रखने, मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता की बातें भी बताई जा रहीं है। जिले में स्वास्थ्य विभाग व सेंटर फॉर कैटलाईजिंग चेंज (सी थ्री) के द्वारा जिले में पंचायत प्रतिनिधियों एवं आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से नव दम्पत्तियों के बीच “खुशियों की पोटली” का वितरण किया जा रहा है। सी थ्री संस्था के जिला प्रतिनिधि आदित्य राज ने बताया की उत्तरी ढेकहां पंचायत में 8 नव विवाहित दंपतियों को, पंचायत रामसिंह छतौनी में 03 नव विवाहित दंपतियों को, पंचायत रूलही में कुल 04 नव विवाहित दंपतियों को, पंचायत उत्तरी ढेकहां में कुल 10 नव विवाहित दंपतियों को, पंचायत बासमनपूर में 02 नव विवाहित दंपतियों को पंचायत सिरसामाल में 11 नव विवाहित दंपतियों को मुखिया सीता देवी और स्वास्थ्य प्रबंधक संध्या कुमारी के उपस्थिति में “खुशियों की पोटली” का वितरण किया गया है।
पोटली में उपलब्ध है महिला एवं पुरुषों के गर्भ निरोधक साधन:
डीसीएम नंदन झा ने कहा की “खुशियों की पोटली” में महिला एवं पुरुषों के गर्भ निरोधक साधन (कंडोम, छाया, माला एन) के अलावा महिलाओं के श्रृंगार सम्बन्धी सामग्रियां जैसे की आइना, कंघी, हैण्ड टॉवल, फोटो फ्रेम इत्यादि एवं परिवार नियोजन कार्यक्रम से सम्बन्धी लीफलेट एवं विवाह निबंधन प्रपत्र भी उपलब्ध है। 104 टोल फ्री नंबर पर कॉल कर नवदंपत्ति जानकारी भी ले सकते हैं। उन्होंने बताया की जिले के सभी सरकारी अस्पताल में अस्थायी व अस्थायी साधन उपलब्ध है।
महिला बंध्याकरण के साथ-साथ पुरुष नसंबदी पर भी जोर देने की जरूरत:
सीएस डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया की परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है, जागरूकता कार्यक्रम से ही बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाया जा सकता है। महिला बंध्याकरण के साथ-साथ पुरुष नसंबदी पर भी जोर देने की जरूरत है। बच्चों में अंतर रखने के लिए कृत्रिम उपाय के लिए भी लोगों को जागरूक करना जरूरी है। सिविल सर्जन ने कहा शादी के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। इससे पहले विवाह होने पर कानूनी करवाई की जा सकती है।