महुआ के कन्हौली में एक परिवार ऐसा भी जो सब के सब है गूंगे दिव्यांग
परिवार में गरीबी की हालत देख दहल जा रहा सबका कलेजा, गरीब और गूंगा दिव्यांग परिवार को नहीं मिल रहा कोई सरकारी लाभ, हाल महुआ के कन्हौली में खेल मैदान के पास स्थित एक यतीम परिवार का
महुआ। रेणु सिंह
स्थानीय कन्हौली बाजार में एक मासूम की सड़क दुर्घटना में हुई मौत से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। घटना के तीसरे दिन गुरुवार को पीड़ित दुखी परिवार को ढाढस देने के लिए लोग पहुंचे। जहां उसकी गरीबी की हालत ना तो घर में खाने के लिए राशन और ना ही बदन पर पूरे कपड़े देख सब सन्न रह गए।
यहां कन्हौली बिशनपरसी पंचायत के कन्हौली खेल मैदान के बगल में वार्ड संख्या 10 निवासी दीपक महतो का डेढ वर्षीय पुत्र प्रिंस की बीते मंगलवार की अहले सुबह सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इस घटना में मृतक की बुआ खुशबू कुमारी और दादी संगीता देवी घायल हो गई थी। जिसका इलाज चल रहा है। यह परिवार इतना गरीब है कि मेहनत मजदूरी से एक शाम चूल्हे चल भी जाता है तो दूसरे शाम के लिए सोचना पड़ता है। घर में रहने, ठहरने की जगह नहीं। स्वच्छता अभियान के तहत उसे एक शौचालय भी सही से नहीं बना है। इस परिवार में पूरे 9 सदस्य हैं।जिसमें सभी गूंगे, दिव्यांग और सीधे-साधे हैं। मृतक प्रिंस के दादा राम केश्वर महतो कैंसर से जूझ रहे हैं। पिता दीपक महतो, माता बबीता देवी, चाचा सूरज और रंजन, बुआ खुशबू कुमारी, बहन निशि प्रिया व चांदनी गूंगे और दिव्यांग है।
पंचायती राज व्यवस्था में भी सरकारी लाभ मिलने मिलने से हैं वंचित:
सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस मशलूम परिवार के लोग वोटर बनने से वंचित है। घर में मात्र दो वृद्ध रामकेश्वर महतो और संगीता देवी को छोड़कर किसी का ना तो वोटर कार्ड बना है और ना ही राशन कार्ड में नाम है। जिसके कारण उन्हें कोई सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है। लोग बताते हैं कि आज के समय में सुखी संपन्न लोग भी सरकारी राशन उठा रहे हैं। जबकि खाने खाने को मोहताज यह गूंगा दिव्यांग परिवार को राशन कार्ड में नाम नहीं होने से राशन नहीं मिल रहा है। एस्बेस्टस का छोटा झोपड़पट्टी बनाकर यह परिवार किसी तरह समय काट रहा है। उसे झोपड़पट्टी तक पहुंचने के लिए एक रास्ता भी नहीं है। पहुंचे पूर्व लोस प्रत्याशी सुरेंद्र पासवान और नोनिया संघ के विमला देवी ने पीड़ित परिवार को ढाढस बंधाया। उन्होंने कहा कि यह तो पूरी तरह सरकारी व्यवस्था पर चोट है। आज भी यह परिवार एक शाम भूखे में सोता है। इस दिव्यांग यतीम परिवार को कब मिलेगी सरकारी लाभ, यह समझ से पड़े हैं।