दस्त नियंत्रण कार्यक्रम की जिला स्तर पर हो रही मॉनिटरिंग

दस्त नियंत्रण कार्यक्रम की जिला स्तर पर हो रही मॉनिटरिंग

  • डायरिया से बचाव को सावधानी बरतनी जरुरी
  • 22 सितम्बर तक चलेगा जिले में अभियान

मोतिहारी, 28 अगस्त
दस्त की रोकथाम को लेकर जिले के सभी प्रखंडों में 22 सितम्बर तक अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत संचालित दस्त नियंत्रण कार्यक्रम की जिले के सिविल सर्जन के आदेश पर गठित जिला कमिटी द्वारा मॉनिटरिंग की जा रही है। बुधवार को मॉनिटरिंग टीम की सदस्य डॉ शशि मिश्रा आरबीएसके जिला समन्वयक के द्वारा अरेराज प्रखंड अंतर्गत खजुरिया पंचायत के ग्राम रायटोला में जनप्रतिनिधि चन्द्रिका महतो, ग्रामीणों से आशा रीना खातून, आशा फेसिलिटीटर पिंकी कुमारी के कार्यों की समीक्षा की गई।
अनुमंडल की स्वास्थ्य टीम का बच्चों मे दस्त की समस्या से निबटने के लिए ग्रामीणों को दिए जाने वाले सहयोग का जायजा लिया गया। इसी क्रम में वार्ड संख्या 40, संग्रामपुर के आंगनबाड़ी केंद्र में दस्त रोकथाम में आशा सुमन देवी, आंगनबाड़ी सेविका गुड़िया कुमारी, एएनएम प्रमिला देवी के किए जा रहे कार्यों का निरिक्षण किया गया। संग्रामपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी डॉ शीतल नरूला ने बताया कि दस्त रोकथाम के लिए बच्चों को जिंक, ओआरएस का वितरण किया जा रहा है। बच्चों को कोई गंभीर समस्या होने पर स्वास्थ्य कर्मियों को बिना देरी किए स्वास्थ्य केंद्र लेकर आने का निर्देश दिया गया है।

डायरिया से बचाव को सावधानी बरतनी जरूरी:

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ शरत चंद्र शर्मा ने बताया कि डायरिया एक संक्रामक बीमारी है जो दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है। डायरिया के प्रसार को रोकने के लिए हमें खुले में शौच से परहेज एवं शौच के बाद व खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना बहुत आवश्यक है। इससे बचाव हेतु सभी सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था है। आशा व स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले सभी परिवारों के घर ओ.आर.एस. के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं। डायरिया पर नियंत्रण के लिए 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान, पर्याप्त पूरक आहार और विटामिन-ए देने की आवश्यकता है। उन्होंने रोटा वायरस के टीकाकरण को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को डायरिया हो जाए तो जिंक-ओ.आर.एस. का प्रयोग असरकारी होता है। डायरिया के गंभीर मामलों के अस्पताल में उपचार की भी विशेष व्यवस्था होती है। जहाँ इसके लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं।

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