बिहार,पटना जिले के अंतर्गत खुशरूपुर प्रखंड के ग्रामीण आवास सहायक मोनिका कुमारी की अपनी मनमानी।

पटना जिले के अंतर्गत खुशरूपुर प्रखंड के ग्रामीण आवास सहायक मोनिका कुमारी की अपनी मनमानी। महिला होने का उठा रहे है फायदा।सूत्रों के अनुसार से ज्ञात हुआ है कि खुशरूपुर प्रखंड के ग्रामीण आवास सहायक मोनिका कुमारी अपने मन से कार्य करती है यहाँ तक कि अपने आला अधिकारियों का भी नही सुनती है।और समय नुसार कार्यालय भी नही पहुचते है फील्ड के नाम पर कार्यालय को धोखा दिया जा रहा है।
सबसे बड़ी बात यह है की दिनांक:24/10/24 को 10 बजकर 30 मिनट में कोई भी कर्मचारी प्रखंड कार्यालय खुशरूपुर में मौजूद नही थे। ग्रामीण आवास सहायक इंदिरा आवास का जो भी लिस्ट इंदिरा ग्रामीण आवास सेवा के पास से जो लिस्ट प्राप्त हुआ है। ग्रामीण आवास के द्वारा उस लिस्ट के आवेदकों को कॉल कर परेशान किया जाता है और कहा जाता है कि दूसरा इंस्ट्रमेंट लेना है तो जल्द से जल्द जैसे हम बोलते है हमारी बातों को मानिए।

पटना:प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई-जी) के तहत, ग्रामीण इलाकों में रहने वाले गरीब परिवारों को पक्का घर बनाने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है
इस योजना के तहत, लाभार्थियों को 1.20 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है. यह रकम तीन किस्तों में दी जाती है.
इस योजना का मकसद, सामाजिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिए पक्का घर बनाना है.
इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए, आधिकारिक पोर्टल पर जाकर लॉगिन करना होता है. इसके बाद, होम पेज पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का विकल्प चुनना होता है.
इस योजना का लाभ लेने के लिए, आवेदक को भारत का स्थायी निवासी होना ज़रूरी है.
आवेदक के पास पहले से कोई घर नहीं होना चाहिए।
आवेदक की मासिक आय 15,000 रुपये से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए।
इस योजना के तहत, काम करने पर हितग्राही को मनरेगा की दर से प्रतिदिन 149 रुपये मिलते हैं
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) बिहार में गरीब ग्रामीण परिवारों को पक्के मकान प्रदान करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। इसका लक्ष्य 2024 तक “सभी के लिए आवास” सुनिश्चित करना है, खासकर उन परिवारों के लिए जो कच्चे मकानों में रह रहे हैं या जिनके पास घर नहीं है। यह योजना सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए बनाई गई है।बिहार में PMAY-G के लाभार्थियों का चयन SECC 2011 के डेटा के आधार पर किया जाता है। इस डेटा का उपयोग कर उन परिवारों की पहचान की जाती है जो सबसे अधिक आर्थिक रूप से कमजोर और बेघर हैं।
चयन में विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति, विधवा, वृद्ध, विकलांग, और बेघर परिवारों को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि सबसे जरूरतमंद परिवारों को पहले आवास की सुविधा मिले।
मकान निर्माण में मजदूरी का हिस्सा मनरेगा के तहत कवर किया जाता है, जिससे लाभार्थियों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ रोजगार भी मिलता है। योजना के तहत लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है, ताकि उनके घरों में स्वच्छता और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके।

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