बी.एम.जी.एफ की टीम ने पी.एम.सी.एच एवं गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल का किया भ्रमण

बी.एम.जी.एफ की टीम ने पी.एम.सी.एच एवं गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल का किया भ्रमण

• सब डर्मल इम्प्लांट की उपयोगिता, प्रभाव एवं लाभार्थियों की राय जानने का किया प्रयास
• प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा लगाया जाता है इम्प्लांट- डॉ. रानू सिंह

पटना- सब डर्मल इम्प्लांट की उपयोगिता, प्रभाव एवं लाभार्थियों की राय जानने की कवायद में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ( बी.एम.जी.एफ ) की टीम ने बुधवार को पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल तथा गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल का भ्रमण किया. टीम ने स्वास्थ्य अधिकारीयों एवं स्वास्थ्य कर्मियों से बातचीत कर इम्प्लांट के बारे में विस्तार से जानकारी ली. टीम ने संचालित स्वास्थ्य कार्यक्रमों की पूरी जानकारी प्राप्त की तथा उनके सुदृढ़ीकरण, अवसर एवं चुनौतियों को समझा. अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों से बातचीत कर टीम ने सब डर्मल इम्प्लांट से संबंधित आगे के अवसर एवं सुदृढ़ीकरण के बारे में चर्चा की. टीम में बी.एम.जी.एफ की सीएटल ऑफिस से 9 सदस्य, बी.एम.जी.एफ भारत कार्यालय के 6 सदस्य एवं सहयोगी संस्थाओं आई.सी.डब्यू.आर., पर्पल ऑडेसिटी तथा मक्कान के सदस्य शामिल रहे. पी.एस.आई. इंडिया की पूरी टीम दोनों संस्थानों में टीम के साथ मौजूद रही. गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में जिला स्वास्थ्य समिति से सिविल सर्जन, डी.पी.एम एवं डी.सी.एम. उपस्थित रहे.
इम्प्लांट की स्वीकार्यता में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी, संक्रमण से सुरक्षा एवं काउंसिलिंग की अहम् भूमिका:
बी.एम.जी.एफ की टीम के साथ संवाद करते हुए पीएमसीएच के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष एवं सब डर्मल इम्प्लांट की राष्ट्रीय मास्टर ट्रेनर डॉ. रानू सिंह ने कहा कि प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा इच्छुक लाभार्थियों को इम्प्लांट लगाया जाता है. इम्प्लांट लगाने की प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के संक्रमण से सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है. इम्प्लांट लगाने से पहले एवं बाद में भी लाभार्थियों की पूरी काउंसिलिंग तथा नियमित फॉलो अप किया जाता है. डॉ. रानू सिंह ने बताया कि इम्प्लांट को बीच में निकलवाने वाली लाभार्थियों की संख्या लगभग नगण्य है।
अस्थायी साधनों पर बढ़ा भरोसा:
गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में इम्प्लांट की डिस्ट्रिक्ट मास्टर ट्रेनर डॉ. स्वाता ने बी.एम.जी.एफ की टीम के सदस्यों को बताया कि पहले परिवार नियोजन का भार महिलाओं के जिम्मे था तथा उनके लिए बंध्याकरण ही एकमात्र विकल्प था. धीरे धीरे बास्केट ऑफ़ चॉइस में विस्तार से लाभार्थियों में अपने परिवार को सीमित करने के लिया अस्थायी साधनों पर भरोसा बढ़ा. सरकार द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम जैसे “सास-बहु सम्मलेन” एवं काउंसिलिंग के तकनीकों में नवाचार से लाभार्थियों का रुझान बंध्याकरण से हटकर अस्थायी साधनों की तरफ बढ़ा है.
दोनों संस्थानों की परिवार नियोजन परमर्शियों ने टीम को अपने अनुभव बताये और सब डर्मल इम्प्लांट के बारे में लाभार्थियों के अनुभव पर विस्तार से बताया. इस दौरान पी.एम.सी.एच की डॉ. गीता सिन्हा, डॉ. रानू सिंह, संजू बाला, परिवार नियोजन परामर्शी तथा गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में डॉ. स्वाता, डॉ. निशा, डॉ. पंकज, निशा पांडेय, परिवार नियोजन परामर्शी तथा पी.एस.आई. इंडिया की टीम की तरफ से मनीष सक्सेना, जनरल मेनेजर, विवेक मालवीय, वरीय कार्यक्रम प्रबंधक, शिशिर, नेहा, राजीव, संजीव तथा अन्य उपस्थित रहे.

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