स्वास्थ्य जागरूकता के लिए सामुदायिक रेडियो की भूमिका महत्वपूर्ण
- सामुदायिक रेडियोकर्मियों का स्वास्थ्य विषय पर दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला शुरू
- स्वैच्छिक संस्था स्मार्ट ने बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से किया है आयोजन
पटना, 4 दिसम्बर.
स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर जनजागरूकता के लिए बुधवार को यहाँ राज्य के नौ सामुदायिक रेडियोकर्मियों का दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला शुरू हुआ. स्वैच्छिक संस्था सीकिंग मॉडर्न अप्लीकेशंस फॉर रियल ट्रांसफार्मेशन (स्मार्ट) द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में रेडियो मयूर (छपरा), रेडियो गूँज (हाजीपुर), रेडियो मयूर (छपरा), रेडियो स्नेही (सीवान), रेडियो रिमझिम व रेडियो वर्षा (दोनों गोपालगंज) तथा रेडियो एक्टिव व रेडियो ग्रीन (दोनों भागलपुर) आदि के संचारकर्मी भाग ले रहे हैं. कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए स्मार्ट की संस्थापक निदेशक अर्चना कपूर ने कहा कि सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता के लिए और सरकार की योजनाओं की जानकारी जन-जन का पहुंचाने में सामुदायिक रेडियो की बड़ी जिम्मेवारी है.
कालाजार रोग और इसके उन्मूलन के बारे में राज्य के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (वेक्टर बोर्न डिजीज) डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि राज्य से कालाजार का उन्मूलन तकनीकी रूप से जरूर हो गया है. लेकिन इसका ख़तरा टला नहीं है. इसलिए सावधानी और सतर्कता अभी भी जरूरी है. इसलिए इसे लेकर समुदाय में निरन्तर संचार जरूरी है. सामुदायिक रेडियो की इसमें भूमिका बड़ी हो जाती है. उन्होंने साफ़-सफाई रखने और जीवन-शैली में सुधार के लिए “क्या करे और क्या न करें” बताने का आग्रह किया.
टीबी रोग और इसके उन्मूलन के बारे में राज्य के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (वेक्टर बोर्न डिजीज) डॉ. बी. के. मिश्रा ने बताया कि टीबी कभी भी और किसी को भी हो सकता है. इसलिए किसी भी सर्दी-खाँसी को हल्के में लेकर टाले नहीं. टीबी का सम्बन्ध आपके खानपान से भी है. यदि पौष्टिक आहार नहीं है तो यह ज्यादा परेशान कर सकता है. इसलिए लोगों को उनको उनके व्यवहार परिवर्तन के बारे में भी समझाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इसके उन्मूलन के लिए देशव्यापी प्रयास हो रहे हैं और कई योजनाएँ चल रही हैं. आम लोगों तक इसकी जानकारी पहुँचाना जरूरी है.
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की कंट्री हेड (हेल्थ एण्ड जेंडर कम्युनिकेशन) पूजा सहगल ने बताया कि किसी भी नई योजना और कार्यक्रम को बनाने और उसे लागू करने में आरम्भ में परेशानी होती है. आम लोगों को इसके बारे में समझाने और उनको सहमत करने में शुरुआती दिक्कत आती है. ऐसे में सामुदायिक रेडियो अपने-अपने इलाके में जनमत निर्माण और जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं. उन्होंने अपील की कि सही तथ्यों के साथ सृजनात्मकता का उपयोग करते हुए आम जनमानस और अपने श्रोताओं को सही जानकारी दें और प्रचार-प्रसार में सहयोग करें.
कार्यशाला में पिरामल के प्रशान्त कुमार सहित राकेश कुमार, स्वाति, संतोष कुमार, प्रवीण तिवारी आदि ने भी अलग-अलग विषयों पर विचार व्यक्त किये. कार्यशाला का संचालन स्मार्ट की संस्थापक निदेशक अर्चना कपूर ने किया.