मॉरिशस की डॉ सरिता बुद्धू को लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए वैशाली में मिला स्वर शारदा इंटरनेशनल अवार्ड

मॉरिशस की डॉ सरिता बुद्धू को लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए वैशाली में मिला स्वर शारदा इंटरनेशनल अवार्ड
अंतर्राष्ट्रीय मातृभूमि सेमिनार 2025 सह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान समारोह का भव्य उद्घाटन बीते शनिवार को वैशाली के ऐतिहासिक धरती भगवान महावीर की जन्म भूमि जैन मंदिर बासोकुण्ड वैशाली में किया गया। इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मातृभूमि सेमिनार के उद्घाटन समारोह में उद्घाटनकर्ता न्यायमूर्ति श्री राजेन्द्र प्रसाद, मुख्य अतिथि मॉरिशस के उपप्रधान मंत्री की अर्धांगिनी और देश-विदेश में चर्चित अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संवाहिका डॉ सरिता बुद्धू, डॉ. पी. सी. चंद्रा थाई मंदिर प्रधान, थाइलैंड, सार्क जर्नलिस्ट फोरम नेपाल के नृपेन्द श्रेष्ठ एवं सुरेंद्र श्रेष्ठ एवं साहित्यकार, भारत से पद्मश्री डॉ जे. के. सिंह, पद्मश्री बिमल जैन एवं पद्मश्री राजकुमारी देवी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। सेमिनार के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ एवं मानवाधिकार टुडे के सम्पादक/आम्रपाली कला साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष/सार्क जर्नलिस्ट फोरम इंडिया चैप्टर बिहार के अध्यक्ष डॉ शशिभूषण कुमार कार्यक्रम के मुख्य संयोजक और स्वागताध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे। सेमिनार की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुआ। उसके बाद मानवाधिकार पत्रकारिता के संवाहक डॉ शशि भूषण कुमार एवं अमित कुमार विश्वास की मानवाधिकार पर आधारित पुस्तक “मानवाधिकार एक दृष्टि ” का विमोचन हुआ। सेमिनार में दूसरी पुस्तक बज्जिका भाषा में बज्जिका कवियों के कविताओं का संग्रह “बज्जिका वैभव ” का विमोचन किया गया, जिसका संपादन अखौरी चन्द्रशेखर एवं डॉ शशिभूषण कुमार ने किया है। समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति श्री राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि वैशाली की धरती अत्यंत पावन है क्योंकि यह भगवान बुद्ध की कर्मभूमि, भगवान महावीर की जन्मभूमि, आम्रपाली की रंगभूमि और प्रजातंत्र की जननी है। उन्होंने लोक संस्कृति के विकास पर बल दिया। डॉ. सरिता बुद्धू ने अपने संबोधन में वज्जिका भाषा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए लोक कलाओं व भाषाओं के विकास की वकालत की। उन्होंने मातृभाषा को माँ की संज्ञा दिया । डॉ. पी. सी. चंद्रा ने कहा कि भारत और थाईलैंड अच्छे व सच्चे मित्र है और दोनों देश एक-दूसरे की संस्कृति के संरक्षण के लिए कृत संकल्पित है। नृपेंद्र श्रेष्ठ और सुरेंद्र श्रेष्ठ ने अपने संयुक्त संबोधन में भारत और नेपाल के रिश्तों में प्रगाढ़ता पर बल दिया। उन्होंने आगे कहा कि सभी क्षेत्र की अपनी-अपनी मातृभाषा होती है, जो हमारी वास्तविक पहचान होती है। पद्मश्री डॉ. जे. के. सिंह ने कहा कि
वैशाली एक ऐतिहासिक स्थल है और इस समारोह के यहां आयोजित होने से समारोह की गरिमा बढ़ गई है। मातृभाषा से ही मिट्टी की खुशबू मिलती है। उन्होंने आम बोलचाल में मातृभाषा के प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि वज्जिका, मैथिली, भोजपुरी या अन्य मातृभाषा बोलने में शर्म का अनुभव नहीं करना चाहिए, बल्कि इससे गर्व का अनुभव होना चाहिए। डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसूची 8 में भाषा संबंधी उपबंध किया गया है। उन्होंने वज्जिका और भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का समर्थन किया। डॉ. शशि भूषण कुमार ने कहा कि आम्रपाली कला साहित्य सम्मेलन लोक साहित्य के विकास के लिए सदैव तत्पर है।
उन्होंने आगे कहा कि
आम बोलचाल में मातृभाषा के प्रयोग से आत्मविश्वास का संचार होता है। इससे व्यक्ति स्वयं को एक नए रूप में स्थापित कर पाता है।
किसान चाची नाम से मशहूर पद्मश्री राजकुमारी देवी ने कहा ने वैशाली का यह क्षेत्र अत्यंत पवित्र स्थल है क्योंकि यही से संपूर्ण विश्व में प्रेम व सद्भावना के संदेश का प्रसार हुए। उन्होंने अपनी बात वज्जिका भाषा में कही। पद्मश्री विमल जैन ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति विविधताओं से परिपूर्ण है और प्रत्येक स्थान स्वयं में अपनी-अपनी विशेषता संजोए हुए है। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।
समारोह के संयोजक और मानव अधिकार कार्यकर्ता अमित कुमार ‘विश्वास’ ने कहा कि वैशाली सत्य और अहिंसा की धरती है। यहां से लोकतांत्रिक मूल्यों से प्रेरित संदेशों का प्रसार संपूर्ण विश्व में हुआ है।
। समारोह में मानवाधिकार टुडे के वार्षिक कैलेंडर 2025 का भी लोकार्पण किया गया। यह अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा सेमिनार स्वर कोकिला पद्मभूषण स्वर्गीय शारदा सिन्हा एवं प्रथम बज्जिका महाकाव्य के रचयिता स्वर्गीय प्रो. हरेन्द्र ‘विप्लव ‘ जी को समर्पित किया गया था।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोक संस्कृति के लिये समर्पित 6 व्यक्तियों को “स्वर शारदा इंटरनेशनल अवार्ड 2025” ( मॉरिशस से डॉ सरिता बुद्धू,नेपाल से श्री राजू लामा,उत्तरप्रदेश से श्री मनोज भावुक और बिहार से शारदा जी के गीतों के रचयिता हृदय नारायण झा, सिंगर प्रिया मल्लिक एवं डॉ कुमार ज्ञानेन्द्रू सिंह) को प्रदान किया गया। बज्जिका के क्षेत्र में काम करनेवाले 24 उत्कृष्ट साहित्यकारों को “विप्लव राष्ट्रीय साहित्य शिखर सम्मान-2025” एवं साथ ही बिहार के 51 व्यक्तित्वों को भी “बिहार गौरव सम्मान 2025” प्रदान किया गया। इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉ विधा चौधरी,सत्र संयोजन डॉ विनय पासवान, अमित कुमार, अलका श्री एवं तान्या गुप्ता थे। जबकि धन्यवाद ज्ञापन चर्चित शिक्षाविद डॉ पंकज कुमार और मंच संचालन कौसर प्रवेज खान ने किया। दूसरे सत्र में प्रथम गणतंत्र वैशाली की मातृभाषा ‘बज्जिका’ विषय पर अखौरी चन्द्रशेखर जी के संयोजन में दर्ज़नों बज्जिका के कवियों ने कविता के माध्यम से वैशाली और इसकी मातृभाषा बज्जिका पर प्रकाश डालते हुए इनके महत्व को बतया। दोपहर भोजनावकाश के बाद सर्व मातृभाषा सत्र की अध्यक्षता एल एन टी महाविद्यालय मुजफ्फरपुर के प्राचार्य डॉ अभय कुमार सिंह ने किया। इस सत्र में बिहार से एक एन कॉलेज पटना के पूर्व प्राचार्य प्रो. हरिद्वार सिंह,प्रो. जयकांत सिंह,डॉ कविता सिंह सहित महाराष्ट्र,नेपाल के कई चर्चित विद्वान वक्ताओं ने भाग ले कर अपनी-अपनी मातृभाषा के विशेषता के बारे में उपस्थित लगभग 200 लोगों को बतया। अंतिम सत्र लोक संस्कृति सत्र में हाजीपुर की चर्चित संस्था सामर्थ्या स्कूल के बच्चों ने शानदार लोक नृत्य की प्रस्तुति से वैशाली और बिहार की लोक संस्कृति को शानदार तरीके से प्रस्तुत कर देश-विदेश से आए अतिथियों को बार-बार ताली बजाने को मजबूर कर दिया। इसके लिए सामर्थ्या के निदेशक सुमित कुमार और उनके बच्चों को बिहार गौरव सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया।
दुसरी प्रस्तुति वैशाली के चर्चित लोक निर्देशक राकेश कुमार और उनके टीम द्वारा किया गया। इसके बाद चर्चित लोक गायिका सरस्वती मिश्रा, बिहारी जी,अमरेंद्र कुमार और कुंदन कृष्णा ने अपनी-अपनी शानदार लोक गायन को प्रस्तुत किया।

इस समारोह में अधिवक्ता रंजीत रंजन, रेखा कुमारी, आनंद कुमार, प्रतीक कुमार, दिव्यांश गुप्ता, तान्या कुमारी, सूर्यांश गुप्ता, प्रिंस गुप्ता, दीपक कुमार साह सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए।

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