रेलवे में महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की परिवर्तनकारी यात्रा: अरोमा सिंह ठाकुर, प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, दक्षिण मध्य रेलवे

रेलवे में महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की परिवर्तनकारी यात्रा: अरोमा सिंह ठाकुर, प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त, दक्षिण मध्य रेलवे

हाजीपुर: 15.01.2025

गतिशीलता केवल लोगों की आवाजाही से ही जुड़ी नहीं है, यह सशक्तिकरण का एक साधन है, अधिकारों को सक्षम करने वाला और सामाजिक-आर्थिक विकास का अग्रदूत है। भारतीय रेलवे प्रतिदिन 23 मिलियन से अधिक यात्रियों को अपनी सेवा प्रदान करता है । गतिशीलता शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और सामुदायिक भागीदारी सहित कई अवसरों तक पहुंच का प्रतिनिधित्व करती है । इस विशाल रेल नेटवर्क पर निर्भर रहने वाली लाखों महिलाओं के लिए, सुरक्षित गतिशीलता एक मौलिक अधिकार और सशक्तिकरण का साधन है।
गतिशीलता आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाती है, इस प्रकार जीडीपी वृद्धि में योगदान देती है। जैसा कि मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट ने रेखांकित किया है, भारत के श्रम बल में लैंगिक अंतर को कम करने से 2025 तक जीडीपी में 770 बिलियन की वृद्धि हो सकती है। भारतीय रेलवे और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जो समावेश और सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं। आरपीएफ द्वारा कई यात्री-केंद्रित पहल किए जा रहे हैं । इन्हीें में ऑपरेशन मेरी सहेली है, जो 2020 में महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई एक समग्र पहल है । विशेष रूप से अकेले रेल यात्रा करने वाली, बच्चों के साथ या देखभाल करने वाली महिलाओं के लिए । 230 समर्पित मेरी सहेली टीमें राष्ट्रीय स्तर पर हर रोज़ लगभग 3240 ट्रेनों को एटेंड कर रही हैं । ये महिला आरपीएफ कर्मी प्रतिदिन महिला यात्रियों से उनकी यात्रा की शुरूआत से लेकर अंत तक बातचीत करती हैं, यात्रा के दौरान संपर्क बनाए रखती हैं और गंतव्य पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं। भारतीय रेलवे के चार प्रमुख मंडलों का नेतृत्व महिला वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्तों द्वारा किया जा रहा हैं और भारतीय रेलवे के 47 आरपीएफ थानों को आरपीएफ महिला निरीक्षकों द्वारा संचालित किया जा रहा है ।

महिला कर्मी सुरक्षा चुनौतियों के प्रति सूक्ष्म दृष्टिकोण रखती हैं। महिलाओं को सुरक्षा के मामले में सबसे आगे रखकर, ये पहल न केवल सुरक्षा को बढ़ाती हैं बल्कि महिलाओं की क्षमताओं के बारे में सामाजिक धारणा को भी परिभाषित करती हैं। आरपीएफ ने ऑपरेशन एएएचटी (मानव तस्करी के खिलाफ कार्रवाई) शुरू किया, जिसमें तस्करी नेटवर्क को लक्षित किया गया और पीड़ितों को बचाया गया।
जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, ष्एक सभ्य समाज की सबसे अच्छी परीक्षा यह है कि वह अपने सबसे कमजोर सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है। महिलाओं के लिए सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करके और अपने कर्मियों को सशक्त बनाकर, भारतीय रेलवे इस लोकाचार का उदाहरण प्रस्तुत करता है, एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देता है जहां सम्मान और सुरक्षा प्रगति की आधारशिला हैं।

ऐसे युग में जब सुरक्षा और सशक्तिकरण को विकास के आधार के रूप में तेजी से पहचाना जा रहा है, आरपीएफ दूरदृष्टि, सहानुभूति और कार्रवाई की परिवर्तनकारी शक्ति का एक प्रमाण है। भारतीय रेलवे, आरपीएफ के अथक प्रयासों के माध्यम से यह साबित कर रहा है कि जब महिलाएं सुरक्षित होती हैं, तो समाज फलता-फूलता है। यह केवल यात्री सेवा ही नहीं बल्कि राष्ट्र को सम्मान, समानता और प्रगति की ओर ले जाने के बारे में है।

(सरस्वती चन्द्र)

मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी

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