रेलवे नेटवर्क के माध्यम से हो रहे मानव तस्करी को रोकने में रेलवे सुरक्षा बल की भूमिका

रेलवे नेटवर्क के माध्यम से हो रहे मानव तस्करी को रोकने में रेलवे सुरक्षा बल की भूमिका

हाजीपुर: 16.01.2025

मानव तस्करी शोषण के उद्देश्य से बल, धोखाधड़ी या जबरदस्ती के माध्यम से व्यक्तियों की भर्ती, परिवहन, स्थानांतरण, श्रम या प्राप्ति का कार्य है । मानव विशेषकर महिलाओं और बच्चों को असामाजिक तत्वों द्वारा नौकरी, रुपयों तथा अच्छे जीवन जीने के लिए सुख सुविधाओं का प्रलोभन देकर यौन शोषण, वेश्यावृति, जबरन काम कराना, जबरन विवाह कराना, घरेलु नौकर, गोद लेने, भीख मांगने, अंग प्रत्यारोपण, मादक पदार्थो की तस्करी के कार्यो हेतु मानव तस्करी कर उपयोग में लाया जाता है । मानव तस्कर उन गरीब लोगों को निशाना बनाया जाता है, जो बेहद दयनीय स्थिति में अपना जीवन-यापन करते हैं । ऐसी गतिविधियां भारतीय संविधान द्वारा प्रदत मानवाधिकारों का पूर्णतः उल्लंघन है ।

रेलवे सुरक्षा बल की भूमिका:
यद्यपि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय है, राज्य पुलिस मानव तस्करी को रोकने, उसका पता लगाने और पंजीकरण करने के लिए जिम्मेदार है । रेलवे सुरक्षा बल को मानव तस्करी के मामलों की जांच करने का अधिकार नहीं है फिर भी रेलवे सुरक्षा बल इसमें राजकीय रेल पुलिस/स्थानीय पुलिस के प्रयासो में सहायता करती है । रेलवे का नेटवर्क सम्पूर्ण भारत में होने के कारण रेलवे सुरक्षा बल की भूमिका इस तरह के अपराधो की रोकथाम हेतु काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। रेलवे सुरक्षा बल राज्य सीमा के नियम से परे अपनी उपस्थिति के कारण रेलवे में ऐसे अपराधो के पंजीकरण, उदभेद्न, अण्वेषण और रोकथाम में राजकीय रेल पुलिस/स्थानीय पुलिस को सहायता प्रदान करती है जो मुख्य रुप से राज्य सरकार का दायित्व है । रेलवे सुरक्षा बल अधिनियम, 1957 के अनुसार रेलवे सुरक्षा बल रेल सीमा के भीतर अपने दायित्वों का निर्वहण करता है । उपरोक्त दायरे में जब भी रेलवे के माध्यम से मानव तस्करी की सूचना प्राप्त होती है रेलवे सुरक्षा बल त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए संदिग्ध तस्करो को हिरासत में ले कर तस्करी किये गये बच्चों को उनके चंगुल से बचाकर नियमानुसार विधिसम्मत कार्यवाही करता है । रेलवे सुरक्षा बल कई मौको पर अकेले ही मानव तस्करी के मामलों को पकड़ता है तथा मानव तस्करों तथा उनके चंगुल से मुक्त किये गये बच्चों को अग्रिम कानुनी कार्यवाही हेतु राजकीय रेल पुलिस को सौंपा जाता है । बच्चों की सुरक्षा के लिए इस संबंध में विभिन्न विश्वसनीय स्त्रोतों से खुफिया जानकारी एकत्र की जाती है । गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस संदर्भ में अपनाए गए असाधारण दृष्टिकोण के लिए रेलवे सुरक्षा बल को मान्यता दी है ।

रेलवे सुरक्षा बल द्वारा शुरु की गई पहल:

ऑपरेशन आहट (मानव तस्करी के विरुद्ध कार्यवाही):
यह राष्ट्रव्यापी ऑपरेशन पीड़ितों, मुख्य रुप से महिलाओं और बच्चों को तस्करों के चंगुल से बचाने पर केंद्रित है । संदिग्धों की पहचान कर ने और उनहें पकड़ने के लिए लंबी दूरी की ट्रेनों और मार्गो पर विशेष टीमें तैनात की जाती हैं । विगत तीन वर्षो (2022, 2023 व 2024) में रेलवे सुरक्षा बल द्वारा पुरे भारत में 2614 व्यक्तियों जिनमें बच्चे शामिल हैं, को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया तथा 753 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया । जहाँ तक पूर्व मध्य रेल का प्रश्न है, वर्ष 2024 के दौरान, रेलवे सुरक्षा बल, पूर्व मध्य रेल द्वारा 444 बच्चों (425 लड़के और 19 लड़कियों) को बचाने के साथ-साथ 134 मानव तस्करों को गिरफ्तार किया गया जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2023 के दौरान 89 मानव तस्कर गिरफ्तार किये गये तथा उनके चंगुल से 314 बच्चों (292 लड़के और 22 लड़कियों) को मुक्त कराया गया था।

ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते:
विगत तीन वर्षो (2022, 2023 व 2024) में रेलवे सुरक्षा बल द्वारा पूरे भारत में देखभाल व सुरक्षा की आवश्यकता वाले 30447 बच्चों को बचाया गया । जिसमें से रेलवे सुरक्षा बल, पूर्व मध्य रेल द्वारा इस पुरे भारत में किए गए पहल के माध्यम से वर्ष 2024 के दौरान 2310 बच्चों (1794 लड़के और 516 लड़कियों) तथा वर्ष 2023 में 1140 बच्चों (749 लड़के और 391 लड़कियों) को बचाया गया । इन केंद्रित प्रयासों का उ६ेश्य अकेले या संदिग्ध व्यक्तियों के साथ यात्रा करने वाले नाबालिकों को गलत हाथों में पड़ने से बचाना है ।

मानव तस्करी के खिलाफ कार्यवाही हेतु टीमों (Anti Human Trafficking Unit-AHTU) की स्थापना: अब तक 53 रेलवे सुरक्षा बल की मानव तस्करी के खिलाफ कार्यवाही हेतु टीमों का गठन प्राप्त जानकारी पर तत्काल कार्यवाही करने, रेल के माध्यम से मानव तस्करी के मामलों का पता लगाने, जानकारी साझा करने के लिए किया जा चुका है । बच्चों के लिए गठित अन्य हितधारको के साथ जानकारी साझा करने, अपराध आंकड़ो का विश्लेषण, संदिग्धो की पहचान, तस्करी के लिए उपयोग में लाये जा रहे रेलमार्ग तथा असुरक्षित रेलगाड़ियों की पहचान करना भी इनका कार्य है ।

सार्वजनिक जागरुकता: रेलवे सुरक्षा बल सक्रिय रुप से रेलवे स्टेशनों पर, रेल उपयोगकर्ताओं, रेलवे ट्रैक के आस-पास रहने वाले लोगों, यात्रीयों व स्थानीय लोगों के बीच जागरुकता अभियान चलाकर मानव तस्करी से संबंधित संकेतो के बारे में शिक्षित व संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट कानुन को प्रर्वतन करने वाले एजेंसियों को करने के लिए प्रोत्साहित करता है ।

दंड प्रावधान: मानव तस्करी के विरुद्ध कानुनी कार्यवाही निम्न के अनुसार की जाती है
🔸भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 98, 99, 143, 144, 145 व 146 तथा अन्य संबंधित धाराएं
🔸अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम 1956 के प्रावधानो के अनुरुप
🔸बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उनमूलन) अधिनियम 1976 के प्रावधानो के अनुरुप
🔸किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के अनुरुप

सहयोग: रेलवे सुरक्षा बल मानव तस्करी से संबंधित खुफिया जानकारी साझा करने, बचाव प्रयासों में समन्वय और तस्करी विरोधी उपायों को मजबूत करने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और अंतराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता है । रेलवे सुरक्षा बल (रेसुब) ने वर्ष 2022 में बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के साथ पहले ही एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं । राष्ट्रीय महिला समीति द्वारा दिनांक 30.04.2024 को मानव तस्करी के विरुद्ध कार्य गुणवता सुधार हेतु एक दिवसीय जागरुकता कार्यशाला को आयोजन पं0 दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल के सहयोग से किया जा चुका है ।

चुनौतियाँ और भविष्य का दृष्टिकोण: हालाँकि रेलवे सुरक्षा बल ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई है । तस्करों की उभरती रणनीति/कार्यप्रणाली, रेल यातायात की विशाल मात्रा और निरंतर प्रशिक्षण और संसाघन आवंटन की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करना प्रमुख क्षेत्र है ।

रेलवे सुरक्षा बल का लक्ष्य भविष्य के चुनौतियों को दूर करने के लिए निम्न के माध्यम से अपनी क्षमताओं को बढाना है:

प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान: संभावित पीड़ितो और तस्करों की पहचान करने के लिए उन्नत निगरानी प्रणाली, आंकड़ा विश्लेषण और चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग करना । उपरोक्त के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1256 लाख की निधि को पूरे भारतवर्ष में रेलवे सुरक्षा बल के मानव तस्करी के विरुद्ध गठित टीम को और मजबुती प्रदान करने के लिए जारी किया जिसमें से 179.96 लाख की निधि जो पूर्व मध्य रेल को निर्धारित की गयी, से वाहन (दो पहिया व चार पहिया), तकनीकि उपकरण (कम्पयूटर, मोबाइल फोन, कैमरा, इत्यादि), फर्नीचर तथा प्रचार प्रसार व जागरुकता हेतु अन्य सामग्री की खरीदारी की जा चुकी है ।

साझेदारी को मजबूत करना: मानव तस्करी के खिलाफ एक एकीकृत मोर्चा बनाने के लिए राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और अंतराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग का विस्तार करना ।

क्षमता निमार्ण: तस्करी संकेतकों की पहचान, पीड़ित सहायता और कानुनी प्रक्रियाओं पर रेलवे सुरक्षा बल कर्मियों को व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करना ।
इन चुनौतियों को सक्रिय रुप से संबोधित करके और नवीन दृष्टिकोणों का लाभ उठाकर, रेलवे सुरक्षा बल मानव तस्करी के लिए आशा की किरण और निर्दोष पीड़ितों का शोषण करने वालों के खिलाफ एक मजबूत ताकत बनी रह सकती है । रेलवे सुरक्षा बल लोगों से नन्हें चेहरों पर मुस्कान बनाए रखने के लिए सक्रिय भागीदार बनने का आग्रह करता है ।

(सरस्वती चन्द्र)
मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी

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