ममता रानी अंचलाधिकारी पटना सिटी महिला होने का उठा रही हैनाजायज फायदा।
पटना सिटी:ममता रानी अंचलाधिकारी पटना सिटी की अपनी मनमानी, जिलाधिकारी पटना एवं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग बिहार सरकार के ताकों पर रख कर करते है कार्य। ममता रानी का कहना है कि जब से हमने चार्ज सम्भाला है हमारे अंचल में कोई भी पेंडिंग कार्य नही है हमारे अंचल में कोई भीड़ भी नही लगता है। लेकिन आम जनता का कहना है कि पटना सिटी अंचल के कार्यालय द्वारा लगातार दौड़ाया जाता है आखिर क्या है मामला कही पैसे का खेला तो नही पैसे की मिली भगत तो नही। पटना दाखिल-खारिज व परिमार्जन के मामले में अंचलाधिकारी व राजस्व कर्मचारी की मनमानी
दाखिल-खारिज एवं परिमार्जन के मामले में अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों की मनमानी चरम पर है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। दाखिल-खारिज एवं परिमार्जन के मामले में अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों की मनमानी चरम पर है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. हालत यह है कि इनके लिए कोई नियम कानून नहीं है. अपने मन में जो आ गया, वही नियम कानून बन गया. परिमार्जन दाखिल-खारिज आदि के मामले में बिना चढ़ावे के काम नहीं किया जा रहा है. लोग कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं. पर उनके काम नहीं हो पा रहे हैं. इससे एक तरफ सरकार की बदनामी हो रही है, तो दूसरी तरफ लोगों में सरकार के विरुद्ध आक्रोश पैदा हो रहा है.जिलाधिकारी की समीक्षा साबित हो रही है बेमानी : एक तरफ सरकार राजस्व महकमों में व्याप्त गड़बड़ी को ठीक करने के लिए प्रयासरत है. इसके तहत जिलाधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं. लगभग 15 दिनों पर समीक्षा कर रहे हैं. पर इसका असर ना तो अंचलाधिकारियों और ना ही राजस्व कर्मचारियों पर पड़ रहा है. जिलाधिकारी की समीक्षा टांय टांय फीस्स साबित हो रही है.
35 दिन व 75 दिन का है मामला : सरकार ने निर्देश दिया है कि दाखिल-खारिज एवं परिमार्जन से संबंधित मामले को 35 दिनों के अंदर या फिर अंतिम रूप से 75 दिनों के अंदर निष्पादन करना है. ताकि लोगों को सुविधा हो सके. पर ऐसा नहीं किया जा रहा है.गलत आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं अंचलाधिकारी व राजस्व कर्मचारी : जिलाधिकारी के समीक्षा के दौरान अंचल अधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा परिमार्जन एवं किसी अधिकारी की कार्रवाई का भय नहीं हो रहा है. ऐसे में समीक्षा का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. लोगों की परेशानी दूर होने की जगह बढ़ते ही जा रही है.नहीं की गयी हैं 75 दिनों के बाद भी परिमार्जन व दाखिल खारिज के मामलों पर कोई कार्रवाई : 75 दोनों के बाद भी अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा दाखिल-खारिज एवं परिमार्जन के मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. उन्हें ठंढ़े बस्ती में रखा गया है एवं इसकी जानकारी जिलाधिकारी को भी नहीं दी जाती है. जिलाधिकारी द्वारा समीक्षा के कौन सा तरीका अपनाया जाता है कि अंचल अधिकारी एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा की जा रही गड़बड़ी पकड़ में नहीं आ रही है. ऐसे में लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है. जिलाधिकारी के समीक्षा पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा हो रहे हैं.
राजस्व वसूली पर पड़ रहा है बड़ा असर :
राजस्व वसूली पर भी बुरा असर पड़ रहा है. जिले में हजारों आवेदन दाखिल खारिज एवं परिमार्जन को लेकर ठंढ़े बस्ते में डाल दिये गये हैं. उन्हें लटका कर रखा गया है. इस कारण लोग राजस्व रसीद नहीं कटा पा रहे हैं. ऐसे में लाखों रुपए प्रतिमाह, जो सरकार को मिल सकते थे ,वह नहीं मिल पा रहे हैं. इससे सरकार को काफी क्षति उठानी पड़ रही है.पर सरकार के कर्मचारी ही सरकार को अपनी मनमानी से राजस्व की क्षति करा रहे हैं. मैंने चौथी बार परिमार्जन के लिए आवेदन दिया. पर अभी तक मेरा परिमार्जन नहीं हो पाया है. मेरे मोहल्ले में एक ही खाता व खेसरा में सैकड़ों आवास बने हुए हैं. अधिकांश लोगों का परिमार्जन हो गया. पर मेरा किस नियम के तहत परिमार्जन नहीं हो रहा है,यह समस्या पर एक ही बात है. अंचल कार्यालय में मौखिक आदेश की बात कही जाती है. जबकि कानून में मौखिक का आदेश का कोई अर्थ नहीं होता है. इसके बावजूद इसकी जांच एवं इस पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. बिना चढ़ने के कुछ भी नहीं किया जा रहा है.
अंचलाधिकारियों व राजस्व कर्मचारियों के मनमानी,कब हो गी खत्म
