बिहार बेतिया में टीबी के लक्षणों को नजरअंदाज करने पर होता है एमडीआर का खतरा

बिहार बेतिया में टीबी के लक्षणों को नजरअंदाज करने पर होता है एमडीआर का खतरा

  • लंबे समय तक खांसी, हल्की बुखार, बलगम के साथ खून आए तो तुरंत कराए टीबी की जांच
  • जिले के 5489 टीबी मरीजों का चल रहा है इलाज

बेतिया, 08 मई 24
प्रायः देखा जाता है कि ग्रामीण कस्बों के मजदूरी करने वाले लोग जो संतुलित आहार का सेवन नहीं करते, स्वच्छ वातावरण में नहीं रहते, जाने-अनजाने में टीबी जैसे गंभीर बीमारी के चपेट में आने के बाद समय पर इलाज नहीं कराते जिससे उनको इसके बिगड़े हुए रूप “एमडीआर” का खतरा होता है। जिससे प्रभावित होने के बाद टीबी मरीज का शरीर काफ़ी कमजोर हो जाता है। जिले के संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने बताया की टीबी एक गंभीर संचारी रोग है जो मरीजों के सम्पर्क में रहने से फैलता है। यह मरीजों के बलगम, थूक, खांसी, छींक आदि के द्वारा फैलता है। इस बीमारी के कारण मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आने लगती है। मरीज में टीबी होने पर दो हफ्ते से ज्यादा समय से बलगम वाली खांसी, बुखार, लगातार वजन घटना, रात में पसीने आने के लक्षण देखें जाते है। ऐसे लक्षण होने पर उन्हें सरकारी अस्पताल में मरीजों के बलगम की सीबी नेट से निःशुल्क जांच की जाती है। इस जांच से टीबी या एमडीआर होने का पता चलता है। उन्होंने बताया कि जिले के स्वास्थ्य केंद्रों पर 5489 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है।
उन्होंने बताया कि टीबी शरीर के किसी भी हिस्सों में हो सकता है। जैसे छाती, फेफड़ों, गर्दन, पेट आदि। टीबी का सही समय पर जांच होना बहुत ही आवश्यक होता है। तभी हम इस गंभीर बीमारी से बच सकते हैं। इससे बचने के लिए सभी आयु वर्गो के लोगों को संतुलित भोजन करना चाहिए, अपने घरों व आसपास साफ सफाई रखनी चाहिए, खासने, छींकने वाले लोगों से दूर रहना चाहिए, बाजार या फिर बाहर वाले इलाकों में मास्क लगाकर जाना चाहिए एवं किसी प्रकार की तकलीफ हो तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी से संबंधित जांच करना चाहिए।

स्वास्थ्य केन्द्रों पर की जा रही है मरीजों की जांच:

सीएस डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया की टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत बेतिया, नरकटियागंज, बगहा, मझौलिया व अन्य स्वास्थ्य केन्द्रो के आसपास टीबी रोगियों की खोज की जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा टीबी के समय पर पहचान हेतु लक्षण व इससे बचाव के उपाय भी बताए जा रहें है। जिला यक्ष्मा केन्द्र सहित सभी अनुमंडलीय व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर मरीजों की जांच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया की प्रधानमंत्री निक्ष्य मित्र योजना के अंतर्गत 53 समाजसेवी संस्थानों व आमजनों ने निक्ष्य मित्र बनकर टीबी मरीजों को पोषण सम्बंधित सहायता के लिए गोद भी लिया गया है। जिला यक्षमा केंद्र में कार्यरत सूर्य नारायण साह ने बताया की बेतिया डीटीसी में 2576 टीबी मरीज इलाजरत है, वहीं नरकटिया गंज में 540, बगहा में 428, रामनगर में 292 टीबी मरीज इलाजरत है।
सूर्य नारायण साह ने कहा की टीबी मरीजों को इलाज के दौरान उन्हें पोषण के लिए 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। पोषण युक्त भोजन में दूध, अंडे, मांस, ताजे, मौसमी फल संतरा, आम, कद्दू ,गाजर, अमरूद, आंवला, टमाटर, नट्स और बीज जैसे फल और सब्जियां खाएं। इन खाद्य पदार्थों में प्रोटीन, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं जो टीबी से शरीर का बचाव करते है। इनका उपयोग बहुत लाभकारी है।

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