बिहार वैशाली जिले को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए नया रोड मैप


बिहार वैशाली जिले को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए नया रोड मैप

  • वैशाली जिला के गैर सरकारी संगठन स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने बाल विवाह पर नई दिल्ली में हुई कार्यक्रम में लिया हिस्सा
  • बाल विवाह मुक्त अभियान से जुड़े 22 राज्यों के गैर सरकारी संगठनों ने 2024-25 के लिए रोड मैप पर की चर्चा
  • इसे रोड मैप और इससे मिली ऊर्जा से स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान अपने जिले और अंततः राज्य को 2030 तक बाल विवाह मुक्त कराने के प्रति आश्वस्त है
    देश से 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए असाधारण एकता और दृढता का प्रदर्शन करते हुए 2024-25 के लिए बाल विवाह के खिलाफ रोड मैप को तैयार करने के लिए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तकरीबन 200 सहयोगी संगठन नई दिल्ली में इकट्ठा हुए। कार्यशाला में मिले विचारों और उन पर अमल को उत्साहित वैशाली जिले में काम कर रहे स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान जिले को और अंततः राज्य को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाएगा।
    बाल विवाह मुक्त भारत अभियान जमीनी स्तर पर 2022 में शुरू हुआ। जिसने अपनी पहुंच प्रभाव और सहयोगियों के नेटवर्क में उल्लेखनीय विस्तार किया है। पिछले वर्ष तक अभियान के 161 सहयोगी संगठन देश के 17 राज्यों में 300 जिलों में काम कर रहे थे। जबकि अब यह अभियान 22 राज्यों तक पहुंच चुका है। इनमें से ज्यादातर जिले ऐसे हैं जिनमे बाल विवाह की ऊंची दर वाले जिलों के रूप में चिन्हित किया गया है। यद्यपि अभियान का मुख्य फोकस बाल विवाह पर है। लेकिन यह बच्चों के ट्रैफिकिंग और बाल यौन शोषण जैसे बच्चों के सुरक्षा एवं संरक्षण के जुड़े मुद्दे पर भी काम कर रहा है।
    कार्यशाला में मिले अनुभव को और सिखों के बारे में बात करते हुए स्व0 कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने कहा “हमारे लिए गौरव की बात है कि बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं। हमारे जैसे तमाम संगठन बाल विवाह के खात्मे के साझा लक्ष्य के लिए साझा प्रयास कर रहे हैं। इस कार्यशाला में हमने इस उद्देश्य के प्रति के लिए नए और लक्ष्य केंद्रित तरीका सीखें। इस नए रोड मैप के साथ हम जमीनी स्तर पर नए विचारों पर अमल के मैं सक्षम होंगे एवं राज्य और अपने जिले में बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति करेंगे।हम अपने जिले में पंचायत, जिला परिषद और पंच-सरपंचों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे। जमीनी स्तर पर जन जागरूकता अभियानों और कानूनी हस्तक्षेपों के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि लोगों में नैतिक जवाब देही का भाव पैदा करने के अलावा उन्हें इस बाबत जागरूक किया जा सके कि बाल विवाह अपराध है और उन्हें गैर कानूनी काम के नतीजे भुगतने पर सकते हैं।
    इस राष्ट्रीय कार्यशाला में चले मंथन के बाद 2024-25 के लिए अभियान के रोड मैप पर सहमति बनी। जिसमें तय किया गया कि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण में कानूनी दखल सबसे प्रभावी औजार है। इन गैर सरकारी संगठनों का उद्देश्य अपने जिलों में जिला प्रशासन और बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) के साथ समन्वय से बाल विवाह के खिलाफ बने कानून पर अमल सुनिश्चित करना, जन जागरूकता अभियान चलाना, लोगों को बाल विवाह नहीं करने के लिए समझाना- बुझाना और कानूनी उपायों की मदद से बाल विवाह की रोकथाम करना है। इस अभियान के मूल में बाल विवाह के खात्मे के लिए प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता भूवन ऋभु की बेस्ट सेलर किताब “व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रन : टिप्पिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरिज” में सुझाई गई कार्य योजना है।
    बाल विवाह मुक्त भारत अभियान में बाल विवाह के खात्मे के लिए राज्य सरकार व प्रशासनिक अमले के साथ करीबी समन्वय के साथ हम सहयोगी है। कार्यशाला में इस पर तत्काल अमल की जरूरत को रेखांकित करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संयोजक रवि कांत ने कहा “बाल विवाह जैसी समाज में गहरी जड़े जमा बैठे सामाजिक बुराई के खात्मे के लिए इस साझा प्रयास के बड़े पैमाने पर साझा रणनीतिक प्रयास अहम है। अगर इस चुनौती से निपटना है तो एक साझा और सोची-समझी रणनीति पर अमल जरूरी है। जमीन पर काम कर रहे इन गैर सरकारी संगठनों का असर व्यापक है। लेकिन एक सामूहिक अभियान के सदस्य के तौर पर भी ऊर्जा का संचार करते हैं। वह अकल्पनीय बदलाव लाने की ताकत रखती है। आज बाल विवाह के लिए ग्राम प्रधानों की जवाबदेही तय करके यह सुनिश्चित करके कि इस मुद्दे पर सभी हितधारकों का अपनी आपसी समन्वय और तालमेल से काम करें। सरकारी और कानून प्रवर्तन एजेंसियां अहम कदम उठा रही हैं जो बाल विवाह के खात्मे कि उनकी प्रतिबद्धताओं को रेखांकित करते हैं बाल विवाह की कुरीति सदियों से जारी है लेकिन अब समय आ गया है जब इसे उखाड़ फेंका जाए।

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