बिहार, पटना में नेशनल कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम में बिहार मॉडल की हुई सराहना : डॉ अशोक

बिहार, पटना में बिहार, पटना में नेशनल कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम में बिहार मॉडल की हुई सराहना : डॉ अशोक

-राज्य के सभी प्रखंड हो चुके हैं कालाजार मुक्त
-पैसिव केस फाइंडिंग पर विभाग करेगा काम

पटना। लोक स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में राज्य कालाजार मुक्त हो चुका है। सूबे के सभी प्रखंडों में कालाजार रोगियों की संख्या प्रति दस हजार की आबादी में एक रोगी से भी कम पहुंच चुकी है। रांची में हुए नेशनल कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की समीक्षा बैठक में बिहार मॉडल की काफी सराहना हुई है। ये बातें अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (वेक्टर जनित रोग नियंत्रण) डॉ अशोक कुमार ने शुक्रवार को आयोजित समीक्षा बैठक में कही। यह बैठक कालाजार उन्मूलन की स्थिति को कायम रखने के प्रयास में तेजी के लिए आयोजित की गयी थी। बैठक के दौरान डॉ अशोक ने कहा कि कालाजार के लिए निर्देशित भारत सरकार के हर पॉइंट पर बिहार पहले से ही काम कर रहा है। राज्य एक्टिव केस की खोज के साथ केस बेस्ड सर्विलांस भी कर रहा है। इसके तहत हर कालाजार मरीज की व्यक्तिगत रिपोर्ट विभाग के पास मौजूद है, अगर इसके साथ इंटेंसिफाइड प्लान के साथ राज्य काम करे तो ट्रांसमिशन रेट पर भी अंकुश लग सकता है।
राज्य लगातार तीसरे वर्ष भी कालाजार मुक्त की स्थिति में
बैठक के आरम्भ में डब्ल्यूएचओ के राज्य समन्वयक (एनटीडी) डॉ राजेश पांडेय ने कालाजार मुक्त राज्य की स्थिति को कायम रखने वाले कारकों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि राज्य लगातार तीसरे वर्ष कालाजार मुक्त की स्थिति को कायम रखे हुए है। प्रखंड स्तर पर प्रति दस हजार की आबादी पर एक से कम मरीज मिले हैं। कालाजार स्थिति को कायम रखने के लिए डॉ पांडेय ने दो सुझाव भी जिलों को दिए, जिसमें साप्ताहिक रिपोर्टिंग और पैसिव केस फाइंडिंग पर बल देना शामिल था। उनका कहना था कि सार्वजनिक संस्थानों में बुखार के आने वाले ऐसे मामले जो 14 दिन से ज्यादा हों तो डॉक्टर के द्वारा कालाजार के लक्षणों को क्लिनिकली जाँचने के बाद कालाजार किट से जांच की जाए।
सही समय पर एसपी पाउडर का छिड़काव जरूरी
डॉ पांडे ने बताया कि ट्रांसमिशन को रोकने के लिए आईआरएस चक्र के दौरान सिंथेटिक पायराथाइड के सही समय पर छिड़काव के साथ छिड़काव के लिए मना करने करने वाले घरों को छिड़काव के लिए राजी करना होगा। इससे कालाजार फैलाने वाली बालू मक्खी पर रोक के साथ रोग की संभावना पर भी लगाम लगेगा। वहीं जिला स्तर से निरंतर “कामिस” के माध्यम से किए गए कार्यों की रिपोर्टिंग, समीक्षा एवं एक्शन लेना है ।
डेंगू जांच के लिए मशीनों को दुरुस्त करने को कहा
डॉ अशोक कुमार ने इस वर्चुअल समीक्षा बैठक में डेंगू के संबंध में भी आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि डेंगू से अति प्रभावित प्रखंडों में मानसून से पूर्व लार्वा स्लाइडर से छिड़काव कराया जाए। डेंगू के मद्देनजर चिकित्सक, आशा, एएनएम एवं अन्य पारामेडिकल स्टाफ तथा स्कूल के बच्चों को भी प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने सभी जिले को डेंगू जांच में प्रयुक्त होने वाले एलाइजा मशीन को दुरुस्त करने का निर्देश दिया।

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