चमकी के रोकथाम हेतु जिले के स्वास्थ्य केंद्र रहें मुस्तैद- डॉ हरेंद्र कुमार
- हरनाटांड में आशा, आशा फैसलीटेटर का हुआ प्रशिक्षण
- एईएस/जेई के बारे में फैलाई जा रही है जागरूकता
बेतिया, 14 अप्रैल
गर्मी के दिनों में चमकी बुखार से एक वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादातर प्रभावित होते हैं। इनकी पहचान व तुरंत ईलाज आवश्यक होता है, इसी क़ो लेकर हरनाटांड में आशा व आशा फैसलीटेटर क़ो प्रशिक्षण कराया जा रहा है ताकि चमकी बीमारी से प्रभावित का तुरंत उपचार किया जा सके। यह कहना है जिले के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ हरेन्द्र कुमार का। उन्होंने बताया कि चमकी के मामलों के रोकथाम हेतु जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को दवाओं के साथ चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से मुस्तैद रहने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि ईलाज व्यवस्था, दवा की उपलब्धता की जानकारी हेतु स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया जा रहा है। वहीं सीएचओ, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को इलाज की व्यस्था के साथ ही अपने पीएचसी व महादलित क्षेत्रों में जेई/ एईएस के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए चौपाल लगाने के साथ ही कई महत्वपूर्ण निर्देश दिया गया है। वहीं हरनाटांड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार सिंह, बीसीएम अनिल कुमार ने प्रशिक्षण के दौरान बताया की चमकी अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलती है। उन्होंने बताया कि गर्मियों के दिनों में चमकी बुखार का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए बच्चे कड़ीधूप में न निकलें। उन्होंने बताया कि इस मौसम में बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं। साफ सफाई पर ध्यान दें। सुबह उठते ही बच्चों को जगायें। साथ हीं देखें बच्चा में कहीं चमकी के लक्षण तो नहीं हैं। लक्षण हो तो तुरंत एंबुलेंस या गाड़ी से नजदीकी अस्पताल ले जाना चाहिए।अपने क्षेत्र की आशा, चिकित्सकों व नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के नम्बर अपने पास रखें।
चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी:
बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
ओआरएस का घोल, नींबू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।
