खरवा मुशहर टोला से जिला स्तरीय ‘स्टॉप डायरिया” अभियान की हुई शुरुआत
-जन-जागरूकता से होगी डायरिया की रोकथाम
- बाढ़ प्रभावित स्थानों पर सतर्कता बरतनी जरूरी
मोतिहारी। 23 जुलाई 2024
जिले के बंजरिया प्रखंड स्थित खरवा मुसहर टोली में ‘स्टॉप डायरिया अभियान-2024’ का शुभारंभ किया गया। डायरिया से होने वाली मृत्यु को शून्य तक लाने के उद्देश्य पर बल देने के लिए इस महत्वपूर्ण अभियान को 22 सितंबर तक चलाया जाएगा ये बातें कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए जिले के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार सिंह ने कहीं। उन्होंने बताया की भारत सरकार के निर्देशानुसार, इस वर्ष इस अभियान को एक पखवाड़े से विस्तारित करते हुए 2 माह तक चलाने का निर्णय लिया गया है जिसके तहत डायरिया से बचाव, उसकी रोकथाम एवं उपचार हेतु संस्थान एवं समुदाय स्तर पर जनजागरूकता से संबंधित कई अहम गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इस अभियान के वृहत आयामों को ध्यान में रखते हुए 2 माह तक स्वास्थ्य विभाग सहित, 6 महत्वपूर्ण सरकारी विभाग समन्वित एवं सक्रिय भूमिका निभाएँगे।इस अवसर पर उपस्थित स्कुल के बच्चे व जनसमूह को बताया गया कि यह अभियान हमारे बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि आज भी डायरिया बाल मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। एक अनुमान के अनुसार राज्य में प्रति वर्ष लगभग 27 लाख बच्चे डायरिया से पीड़ित होते हैं जिनमें से कईयों की जान चली जाती है। डायरिया एक आसानी से ठीक होने वाली बीमारी है लेकिन इसके लिए इसका ससमय पहचान, रेफरल एवं उपचार आवश्यक है।
डायरिया एक संक्रामक बीमारी है जो दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है:
डॉ शरत चंद्र शर्मा जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी ‘स्टॉप डायरिया अभियान’ ने कहा कि डायरिया एक संक्रामक बीमारी है जो सामान्यतः जीवाणु या विषाणु के कारण होता है। यह बीमारी तब फैलती है जब कोई स्वस्थ व्यक्ति गंदे हाथों से भोजन करता है या संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद रोगाणुओं से दूषित पानी या खाद्य पदार्थों का सेवन करता है। इसीलिए डायरिया के प्रसार को रोकने के लिए हमें खुले में शौच से परहेज एवं शौच के बाद व खाने से पहले अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना बहुत आवश्यक है। साथ ही हमें दूषित पेयजल एवं खाद्य पदार्थों के सेवन से भी परहेज करना चाहिए।
इस अवसर पर बताया गया कि अभियान के अंतर्गत, राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में जिंक-ओआरएस कॉर्नर की स्थापना की जाएगी जहां प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी उपलब्ध रहेंगे।
बाढ़ प्रभावित स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतनी जरूरी:
आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले सभी परिवारों के घर ओआरएस के पैकेट वितरित किए जाएंगे। डीसीएम नंदन झा, यूनिसेफ के धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि डायरिया पर नियंत्रण के लिए 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान, पर्याप्त पूरक आहार और विटामिन-ए देने की आवश्यकता है। उन्होंने रोटा वायरस के टीकाकरण को भी महत्वपूर्ण बताया। एसीएमओ डॉ श्रवण कुमार पासवान ने कहा की बाढ़ प्रभावित स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतनी जरूरी है। यदि बच्चे को डायरिया हो जाए तो जिंक-ओआरएस का प्रयोग असरकारी होता है। डायरिया के गंभीर मामलों के अस्पताल में उपचार की भी विशेष व्यवस्था होती है जहाँ इसके लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं। पीरामल फाउंडेशन से डीएल मुकेश कुमार ने डायरिया की रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयासों एवं जनसामान्य में इसके प्रति जागरूकता फैलाने पर पर बल दिया। उन्होंने अभियान को सफल बनाने के लिए सभी 6 सरकारी विभागों के साथ-साथ पंचायत राज संस्थाओं एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से भी बढ़-चढ़ कर भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों में भी स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया।
मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बंजरिया, चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम, काउंसलर सहित अन्य विभागों के जिला राज्यस्तरीय पदाधिकारी तथा यूनिसेफ, चाई एवं पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।