( अधिक वर्क लोड से बचें )पुणे के अर्स्ट एंड यंग में काम करने वाली एक युवती की कथित तौर पर वर्कलोड से मौत हो गई. 26 वर्षीय कर्मचारी की मां का आरोप है कि कंपनी जॉइन करने के कुछ ही महीनों के भीतर उसकी भूख नींद सब खत्म होने लगी, जिसका ये अंजाम हुआ. ये तो एक्सट्रीम केस है, लेकिन कॉर्पोरेट में काम करने वालों के लिए वर्क प्रेशर नई बात नहीं.दफ्तरों में होने वाली दिक्कतों पर बात करने वाले ग्लोबल थिंक टैंक यूकेजी वर्कफोर्स इंस्टीट्यूट ने मार्च 2024 में एक आंकड़ा जारी किया, जो चौंकाता है. इसके मुताबिक, भारत में काम कर रहे करीब 78 फीसदी कर्मचारी बर्नआउट की शिकायत करते हैं. ये वो स्थिति है, जब मन और शरीर दोनों इतनी थकान से भर जाए कि कुछ भी प्रोडक्टिव न हो सके. ये बर्नआउट कितना असल है, इसका अंदाजा इस बात से लगा लें कि इनमें से 64 फीसदी लोगों ने माना कि अगर थोड़ी तनख्वाह कटवाने पर उनका वर्कलोड कम हो सके, तो वे खुशी-खुशी तैयार हैं।


