वैशाली में बाल विवाह के खिलाफ 62 जागरूकता व शपथ ग्रहण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया


बाल विवाह मुक्त भारत के आह्वानपर स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने . वैशाली में निकाला जागरूकता मार्च, हजारों की तादाद में शामिल हुए लोग
• जिले में पिछले डेढ़ साल में लगभग 800 बाल विवाह रुकवाने वाले गैर सरकारी संगठन स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने कहा, इस अभियान से बाल विवाह के खात्मे की लड़ाई को मिलेगी गति
• रैली में बाल विवाह पीड़िताओं, सरकारी अफसरों, पंचायत प्रतिनिधियों व शिक्षकों सहित बड़ी संख्या में शामिल आमलोगों ने ली बाल विवाह के खिलाफ शपथ
• विवाह संपन्न कराने वाले पंडितों व मौलवियों समेत धार्मिक नेताओं, हलवाइयों, बैंड बाजावालों सहित सभी हितधारकों ने किया अभियान का समर्थन
• स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन है
भारत सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान के समर्थन में गैरसरकारी संगठन स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने वैशाली में बाल विवाह के खिलाफ 62 जागरूकता व शपथ ग्रहण कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसमें समाज के हरतबके के लोग शामिल हुए। इस दौरान मशाल जुलूस और कैंडल मार्च में बाल विवाह पीड़िताओं, महिलाओं, बच्चों व पुरुषों सहित लगभग 3 लाख लोगों ने बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली और जागरूकता के प्रसार के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी की। इस दौरान पुरोहितों, मौलवियों, हलवाइयों, रसोइयों, सजावट, बैंड बाजावालों व शादी का कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों जैसे विवाह से जुड़े सभी हितधारकों ने शपथ ली कि वे बाल विवाह संपन्न कराने में किसी भी तरह से भागीदारी नहीं करेंगे और इसकी सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को देंगे। स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान 250 से भी अधिक अग्रणी गैरसरकारी संगठनों के देशव्यापी गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जे.आर.सी) का सहयोगी है जो जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए काम कर रहा है। स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को समझा-बुझाकर अकेले 2023-24 में ही जिले में लगभग 800 बाल विवाह रुकवाए हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा शुरू किए गए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए गैरसरकारी संगठन स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने कहा, “यह अभियान हमारे विकसित भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। देश की बच्चियों को शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाए बिना हम इस सपने को पूरा नहीं कर सकते और बाल विवाह इसमें सबसे बड़ी बाधा है।बाल विवाह की रोकथाम के लिए सभी पक्षों को साथ लेकर चलने और बचाव-संरक्षण एवं अभियोजन नीति पर अमल के मंत्रालय के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं। ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन होने के नाते हम पहले से ही इस रणनीति पर काम करते आ रहे हैं। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हमने इस जिले में जो अभियान शुरू किया था, वह अब राष्ट्रव्यापी अभियान बन गया है।”

इस राष्ट्रव्यापी अभियान का समर्थन करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “हमने जब यह अभियान शुरू किया था तो यह समस्या को उसकी जड़ से मिटाने के लिए बाल विवाह की ऊंची दर वाले राज्यों पर केंद्रित एक लक्षित प्रयास था। एक सुविचारित दृष्टि और रणनीति के साथ शुरू हुआ यह अभियान अब राष्ट्रव्यापी शक्ल ले चुका है और आज देश सदियों से देश में जड़ें जमाए बैठी इस कुप्रथा के खात्मे के लिए एकजुट है। जिसने भी भारत की बेटियों की पुकार सुनी, उनकी आवाज उठाई और बाल विवाह मुक्त भविष्य के सपने की ओर बढ़ने में मदद की, हम उन सभी को धन्यवाद देते हैं।”
स्व० कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के देशव्यापी गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (जे.आर.सी) का सहयोगी संगठन है जो देश में बाल सुरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान करने व बाल अधिकारों के सुरक्षा व संरक्षण के प्रोत्साहन के लिए कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम में मौजूद एक बाल विवाह पीड़िता रोहिणी देवी (काल्पनिक नाम) ने इस अपराध के खात्मे के लिए सरकार के संकल्प पर संतोष जताते हुए इस मौके पर कहा, “मैं नहीं चाहती की पढाई और खेलने के उम्र में माता-पिता, परिवार समाज बच्चियों या बच्चों को बाल विवाह के दुष्चक्र में या तो बच्चियों को बोझ समझकर या बच्चों को परंपरा वश न फसाएँ। वरना मेरी तरह बच्चे पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ और संतान उत्पन्न काने के मशीन बनकर शिक्षा और विकास से वंचित रह जाये। ”
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बाल विवाह के खिलाफ यह सामूहिक लामबंदी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान के समर्थन में हुई जिसकी शुरुआत 27 नवंबर 2024 को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने की थी। दौरान उन्होंने पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई और उम्मीद की इस जा रही है कि जल्दी ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी।

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