गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल के प्रशासन, सिविल सर्जन पटना एबं DPM विवेक कुमार की मिली भगत से गार्ड एजेंसी की मनमानी/तानाशाही।और सभी की मिली भगत से गार्ड के कंपनी के कंपनी को दिया जा रहा है बढ़ावा।यह फिर गार्ड के कंपनी से आधा यानी 75 ℅से ज्यादा रूपीए सभी के हाथों में जा रहा है ऐसा प्रत्रित होता है। आखिर सिविल सर्जन पटना और DPM विवेक कुमार चुप्पी क्यों साध कर बैठे है। कही ना कही दोनों की मिली भगत है।
सूत्रों के अनुसार से ज्ञात हुआ है कि अस्पताल के प्रशासन, सिविल सर्जन पटना एबं स्वास्थय विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारीDPM विवेक कुमार तीनो की मिली भगत से गार्ड एजेंसी का पैसा /रूपीए का बंदरबाट होता है। आला अधिकारी का ध्यान इस ओर क्यों नही है कही ऐसा तो नही की कही ना कही सफेद पोस का हाथ प्रत्रित होता है।
हरेक साल गार्ड एजेंसी के द्वारा
करोडो की होती है सरकार की कि क्षति।
सबसे बड़ी बात यह है कि 30 से 35 गार्ड ड्युटी करते है और हाजिरी 60 से 65 गार्डो का बनता है। इसका जिम्मेदार कौन?
गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल पटना सिटी में इलाइट कंपनी सुरक्षा एजेंसी को गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल में सुरक्षा का देख भाल के लिए इलाइट एजेंसी को दिया गया है। 60 से 65 सिक्युरिटी गार्ड का मासिक वेतन प्रति गार्ड 35 पैंतीस हजार रूपीए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एजेंसी को दिया जाता है लेकिन प्रति गार्ड के एकाउंट में PF काट कर 13,000/=तेरह हजार रूपीए दिया जाता है। अस्पताल परिसर में 20 (बीस) से 25 गार्ड से सेवा लिया जाता है। जिसमे गार्डों का मासिक वेतन के रूप में 16 हजार रूपीए PF काट कर 13 तेरहा हजार रूपीए एकाउंट में दिए जाते है। जबकि बिहार सरकार स्वास्थय विभाग प्रति गार्ड को 35,000 (पैंतीस हजार रूपीए)प्रति गार्ड के हिसाब से दिया जाता है। यह जांच का विषय है कि इन लोगो के बीच का पैसा कहां जाता है। किस मद में जाता है। किस -किस के पास जाता है। यह जांच का बिषय है। एक कर्मचारी ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया कि बिहार सरकार के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 65 गार्ड का पेमेंट दिया जाता है जबकि विभाग 65 गार्ड का पेमेंट दे रही है तो 40 गार्ड का वेतन किस मद में जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन पटना और DPM विवेक कुमार पटना इसलिए सालों से अंगद के तरह जमे बैठ कर कर रहे है अपना मनमाना कार्य आखिर आज तक DPM विवेक कुमार का तबादला क्यों नही। क्यों आज तक आला अधिकारियों से लेकर मंत्री तक ध्यान नही।